RSS प्रमुख मोहन भागवत ने सरकार से बच्चे पैदा करने की संख्या निर्धारित करने की नीति बनाने को कहा।

संघ प्रमुख ने 'भविष्य का भारत पर आरएसएस का दृष्टिकोण' विषय पर बोलते हुए कहा कि हम भारत की कल्पना कर रहे हैं, भविष्य का भारत तैयार कर रहे हैं।

(एनएलएन मीडिया – न्यूज़ लाइव नाऊ) :   RSS प्रमुख मोहन भागवत ने लोग कितने बच्चे पैदा करें इसे निर्धारित करने की नीति बनाने को कहा। राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ (आरएसएस) प्रमुख मोहन भागवत ने कहा कि संघ को समाप्त करने वाले खुद समाप्त हो गए। बरेली में मोहन भागवत ने कहा, ‘मुझ से पूछा गया कितने बच्चे हों, मैंने कहा सरकार और सब तय करें, नीति बने, अभी पता नहीं, जनसंख्या समस्या और समाधान दोनों है।’ संघ प्रमुख ने ‘भविष्य का भारत पर आरएसएस का दृष्टिकोण’ विषय पर बोलते हुए कहा कि हम भारत की कल्पना कर रहे हैं, भविष्य का भारत तैयार कर रहे हैं। उन्होंने कहा कि साल 1940 से पहले तक समाजवादी, कम्युनिस्ट और अन्य सभी राष्ट्रवादी थे। साल 1947 के बाद बिखरे थे। संघ प्रमुख ने कहा कि भारत रूढ़ियों और कुरीतियों से पूरी तरह मुक्त हो, 7 पापों से दूर रहे और वैसा हो जैसा गांधीजी ने कल्पना की थी। उन्होंने कहा कि देश के संविधान में भविष्य के भारत की कल्पना की गई है। संघ प्रमुख ने इजराइल का जिक्र करते हुए कहा कि वह दुनिया मे संपन्न देश है। आज उसकी धाक है। उसे हाथ लगाया तो अंजाम भुगतना पड़ेगा। उन्होंने आजादी के समय की परिस्थितियों का जिक्र करते हुए कहा कि आजादी के समय देश की जनसंख्या करोड़ो में थी। देश के खजाने में 16 हजार करोड़ बाकी थे, इंग्लैंड से हमको 30 हजार करोड़ वसूलना था। संघ प्रमुख ने कहा कि समस्या स्वतंत्र होना नहीं है। हम बार-बार गुलाम होते रहे, इसलिए बार-बार स्वतंत्र होते रहे। मुट्ठी भर लोग आते हैं और हमें गुलाम बनाते हैं। ऐसा इसलिए कि हमारी कुछ कमियां है। उन्होंने कहा कि सब एक हैं, तो सब मिलकर रहो। हम सब हिन्दू हैं, हिंदू भाव को जब-जब भूले तब-तब विपत्ति आई। संघ प्रमुख मोहन भागवत ने कहा कि भारतवर्ष में हम सब हिंदू हैं, इसलिए हम हिंदू राष्ट्र हैं। जिनके पूर्वज हिंदू हैं, वह हिंदू हैं। उन्होंने कहा कि हम राम, कृष्ण को नहीं मानते तो कोई बात नहीं। इन सब विविधताओं के बावजूद हम सब हिंदू हैं। हम अपनी संस्कृति से एक हैं, हम अपने भूतकाल में भी एक हैं। उन्होंने कहा कि लोग कहते हैं, इनका एजेंडा है। हमारा कोई एजेंडा नहीं है, हम संविधान को मानते हैं। हिंदू ‘हिंदू वसुधैव कुटुम्बकं’ के सिद्धांत पर चलता है। भागवत ने कहा कि ये कहा जाता है कि संघ वाले जालिम हैं, ये जो भी करेंगे तुम्हारे खिलाफ ही करेंगे। उन्होंने कहा कि हम शक्ति का कोई दूसरा केंद्र नही चाहते। संविधान के अलावा कोई शक्ति केंद्र होगा तो हम उसका विरोध करेंगे, क्यों कि ये विचार पहले से तय है। संघ प्रमुख ने कहा कि अगर कोई यह कहता है कि हम हिंदू नही कहेंगे, हम कहेंगे कि हम भारतीय हैं तो हमे इसमें भी कोई ऐतराज नहीं है। उन्होंने कहा कि संघ को समाप्त करने वाले खुद समाप्त हो गए।

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