PM के भाषण में जजों की नियुक्ति का जिक्र नहीं होने पर बिफरे चीफ जस्टिस ठाकुर

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नई दिल्ली : “गुल फेंके है औरों की तरफ़ बल्कि समर भी
ऐ ख़ानाबर अंदाज़-ए-चमन कुछ तो इधर भी”….

यानी तुमने दूसरों को फूल और फल दिए. कुछ हमारी तरफ भी भेज दो. ये शेर पढ़ा देश के चीफ जस्टिस टी एस ठाकुर ने. मौका था स्वतंत्रता दिवस पर सुप्रीम कोर्ट में हुए कार्यक्रम का. निशाने पर थे केंद्रीय कानून मंत्री रविशंकर प्रसाद. इस बीच केजरीवाल ने भी इस पर प्रतिक्रिया दे दी है.

दरअसल, इस मौके पर भी जस्टिस ठाकुर जजों की कमी और उसके चलते काम में आ रही दिक्कत पर सरकार को खरी खरी सुनाने से नहीं चूके. उन्होंने कहा, “मैं कोर्ट में और कोर्ट से बाहर बड़ी बेबाकी से बोलता हूँ. जहाँ तक आ गया हूँ, उससे आगे जाने की ख्वाहिश नहीं. इसलिए दिल से बोलता हूँ.”

कार्यक्रम की शुरुआत में झंडे की गांठ न खुलने के चलते खंभे को निकलना पड़ा था. उस बात को भी मज़किया तरीके से रखते हुए चीफ जस्टिस ने कानून मंत्री पर निशाना साधा. कहा, “लॉ मिनिस्टर गांठ के पक्के हैं. आपने हमारी गांठ भी देख ली. हम तो खंभा उखाड़कर भी झंडा फहरा देते हैं.”

जस्टिस ठाकुर ने पीएम के भाषण पर भी टिप्पणी की. कहा, “देश के लोकप्रिय पीएम डेढ़ घंटा बोले. लॉ मिनिस्टर भी बोले. मैंने सोचा था इंसाफ की, जजों की नियुक्ति की भी बात होगी.” खालिस हिंदुस्तानी में बोल रहे चीफ जस्टिस ने कहा, “आज का दिन बेहद अहम है. हमने क्या किया, क्या करेंगे ये बताकर आज के दिन की अहमियत कम नहीं करना चाहता.”

उन्होंने कहा कि ”लोग जानते हैं, कौन क्या कर रहा है. आज देश के लिए कुर्बानी देने वालों को याद करने का दिन है.” चीफ जस्टिस ने सरकार से गरीबी और बेरोज़गारी पर खास ध्यान देने की अपील की. उन्होंने कहा कि गरीबी रेखा ऐसे बनाई गई है, जैसे आदमी को सिर्फ 2 वक्त की रोटी चाहिए.

उन्होंने कहा कि अगर इसे(गरीबी रेखा) थोड़ा सा बढ़ा दें तो 50 फीसदी से ज़्यादा आबादी गरीब कहलाएगी. जस्टिस ठाकुर ने कहा कि बेरोज़गारी का आलम ये है कि एम.ए पास लोग चपरासी तक की नौकरी करने के लिए जूझ रहे हैं. आज अगर सुप्रीम कोर्ट में चपरासी की वैकेंसी निकाल जाए तो लाइन लग जाएगी असली आज़ादी होगी गरीबी से, शोषण से आज़ादी.

 

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