FATF की इकाई APG द्वारा ‘ब्‍लैक लिस्‍ट’ हुआ पाकिस्तान, अब और बड़ी आर्थिक मुसीबतों का करना होगा सामना।

टेरर फंडिंग पर नजर रखने वाली अंतरराष्ट्रीय संस्था फाइनेंशियल एक्शन टाक्स फोर्स (FATF) की क्षेत्रीय इकाई एशिया पैसिफिक ग्रुप (Asia Pacific Group, APG) ने शुक्रवार को टेरर फंडिंग पर लगाम लगा पाने में नाकाम रहने पर पाकिस्‍तान को इन्हैंस्ड एक्सिपडाइडेट फॉलोअप लिस्ट 'काली सूची' ) में डाल दिया।

(एनएलएन मीडिया – न्यूज़ लाइव नाऊ) :  पाकिस्तान को आतंकवाद के मामले में अंतरार्ष्ट्रीय स्तर पर एक बड़ा झटका लगा है। टेरर फंडिंग पर नजर रखने वाली अंतरराष्ट्रीय संस्था फाइनेंशियल एक्शन टाक्स फोर्स (FATF) की क्षेत्रीय इकाई एशिया पैसिफिक ग्रुप (Asia Pacific Group, APG) ने शुक्रवार को टेरर फंडिंग पर लगाम लगा पाने में नाकाम रहने पर पाकिस्‍तान को इन्हैंस्ड एक्सिपडाइडेट फॉलोअप लिस्ट ‘काली सूची’ (Enhanced Expedited Follow Up List, Blacklist) में डाल दिया। एक वरिष्‍ठ अधिकारी ने बताया कि एफएटीएफ के एशिया पैसिफिक ग्रुप ने पाया कि पाकिस्‍तान ने आतंकी फंडिंग और मनी लॉन्ड्रिंग के 40 अनुपालन मानकों में से 32 पर खरा नहीं उतरा जिसकी वजह से उसके खिलाफ कार्रवाई की गई।  अधिकारी ने बताया कि एपीजी की बैठक ऑस्‍ट्रेलिया के कैनबरा (Canberra, Australia) में हुई। पाकिस्‍तान में जारी आतंकी संगठनों की फंडिंग के मसले पर एपीजी में बीते दो दिनों से बैठक चल रही थी। कुल सात घंटे से ज्‍यादा चली बैठक के बाद पाकिस्‍तान के खिलाफ यह फैसला आया। भारतीय अधिकारी ने कहा कि APG ने पाकिस्तान को टेरर फंडिंग के मानकों को पूरा करने में विफल रहने के कारण ब्‍लैक लिस्‍ट कर दिया है। एपीजी ने आतंकी फंडिंग और मनी लॉन्ड्रिंग पर लगाम लगाने वाले 11 प्रभावशाली मानक तय किए थे जिसमें से 10 पर उसकी रेटिंग खराब रही। इन सबके बावजूद पाकिस्‍तान अपनी आदतों से बाज नहीं आ रहा है। उसके वित्‍त मंत्रालय (Pakistan Finance Ministry) ने एपीजी द्वारा ब्‍लैक लिस्‍ट किए जाने की खबरों को आधारहीन और झूठा बताया है। बता दें कि भारत एपीजी और एफएटीए दोनों का सलाहकार सदस्‍य है। APG की बैठक में पाकिस्तान की मंत्रीस्‍तरीय टीम का नेतृत्व स्टेट बैंक ऑफ पाकिस्तान के गवर्नर ने किया। भारतीय अधिकारी ने बताया कि पाकिस्तान के अनुपालन रिकॉर्ड की समीक्षा किए जाने की मांग अमेरिका, ब्रिटेन, जर्मनी और फ्रांस द्वारा की गई। अधिकारी ने बताया कि तमाम कोशिशों के बावजूद पाकिस्‍तान 41 सदस्‍यीय पैनल के सामने किसी भी पैरामीटर पर खुद को खरा साबित नहीं कर पाया। एपीजी के इस फैसले का पाकिस्तान पर व्यापक असर होगा। अब एफएटीएफ अक्टूबर में होने वाली अपनी बैठक में पाकिस्तान को ब्‍लैक लिस्‍ट करने पर फैसला लेगा। एफएटीएफ पाकिस्‍तान को ब्‍लैक लिस्‍ट होने से बचने के लिए 27 सूत्रीय एक्‍शन प्‍लान सौंपा था और आतंकियों के खिलाफ ठोस कार्रवाई के लिए 15 महीने की मोहलत दी थी। यह समय सीमा अक्‍टूबर में खत्‍म हो रही है। जून 2018 से ही पाकिस्तान फाइनेंशियल एक्शन टास्क फोर्स (FATF) की ‘ग्रे लिस्‍ट’ में मौजूद है। निगरानी सूची से बाहर आने के लिए पाकिस्तान पिछले साल एफएटीएफ की ओर से दिए गए 27 में से दो-तीन मानकों को ही पूरा कर पाया है। पाकिस्‍तानी विदेश मंत्री शाह महमूद कुरैशी भी चिंता जता चुके हैं। उन्‍होंने कहा था कि पाकिस्तान एफएटीएफ द्वारा यदि ब्‍लैक लिस्‍ट हुआ तो उसकी अर्थव्यवस्था को 10 अरब डॉलर का झटका लगेगा। पाकिस्‍तान अभी भी सुधरता नहीं दिखाई दे रहा है। आतंकियों की फंडिंग के मामले में वह अभी भी एफएटीएफ को गुमराह कर रहा है। सूत्रों की मानें तो वह ठोस कार्रवाई करने के बजाए दिखावे के लिए आतंकवादियों और आतंकी समूहों के खिलाफ फर्जी और कमजोर एफआइआर दर्ज कर रहा था। इसे लेकर अमेरिका ने पाकिस्तान को प्रतिबंधित आतंकी संगठनों के खिलाफ ठोस कार्रवाई की नसीहत दी थी। अमेरिका ने सख्‍त लहजे में था कि आतंकी संगठनों के खिलाफ कार्रवाई के लिए ठोस और संतोषजनक कदम उठाने के बाद ही दुनिया के ज्यादातर देश फाइनेंशियल एक्शन टास्क फोर्स (एफएटीएफ) की निगरानी सूची से बाहर निकलने में पाकिस्तान का समर्थन कर सकते हैं। एपीजी के इस एक्‍शन से पाकिस्‍तानी अर्थव्‍यवस्‍था पर संकट के बादल मंडराने लगे हैं। यदि एफएटीएफ भी एपीजी के फैसले पर अपनी मुहर लगा देता है तो पाकिस्तान की अर्थव्यवस्था गर्त में चली जाएगी। विदेशी मुल्‍क और अंतरराष्ट्रीय वित्तीय संस्थाएं उसे कर्ज देना बंद कर देंगी। अभी कुछ ही दिन पहले ही इस्लामाबाद में तैनात अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष (आइएमएफ) की प्रतिनिधि टेरीजा सांचेज ने कहा था कि यदि पाकिस्तान एफएटीएफ की ग्रे लिस्ट यानी निगरानी सूची से बाहर नहीं निकला तो उसका हालिया स्वीकृत लोन भी खतरे में पड़ जाएगा। पाकिस्तान की अर्तव्यवस्था पहले से ही बदहाल है, FATF के इस कदम के बाद बाद पाकिस्तान को अंतर्राष्ट्रीय स्तर अपनी छवि सुधारने को लेकर बड़े कदम उठाने की सख्त आवश्यकता पड़ेगी।

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