24 दिसंबर : अंतरराष्ट्रीय कौलान्तक सिद्ध विद्यापीठ द्वारा आयोजित होगा बृहस्पति कल्प कोर्स

सिद्ध धर्म के अनुसार, ‘बृहस्पति कल्प’ यह बृहस्पति जी के द्वारा किया गया सबसे महत्वपूर्ण कार्य है

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(एनएलएन मीडिया – न्यूज़ लाइव नाऊ)  :  ‘अंतरराष्ट्रीय कौलान्तक सिद्ध विद्यापीठ’ द्वारा ‘बृहस्पति कल्प’ पर २४ दिसंबर से सतारा, महारष्ट्र में ७ दिवसीय कोर्स का आयोजन होगा। 

सिद्ध धर्म के अनुसार, ‘बृहस्पति कल्प’ यह बृहस्पति जी के द्वारा किया गया सबसे महत्वपूर्ण कार्य है। बृहस्पति कल्प को गहराई से समझने के बाद बृहस्पति जी के सम्पूर्ण कुलों को समझना संभव है।सिद्ध धर्म के अनुसार, ‘बृहस्पति जी के आस्तिक और नास्तिक दोनों दर्शनों के लिये ‘बृहस्पति कल्प’ सर्वोच्च ग्रंथ है। बृहस्पति कल्प को समझने के लिए एक व्यक्ति को पहले उसके आधार में स्थित लौकिक और अलौकिक कुल और विचारधारा को समझना होगा। प्रमुख कुल और प्राथमिक विचारधाराओं में पारंगत होने पर ही कोई व्यक्ति बृहस्पति कल्प में पारंगत हो सकता है।

बृहस्पति कल्प के पांच खंड है और उन्ही को और अधिक स्पष्ट करने के लिये उपखंड भी है। तथा ‘आंतरराष्ट्रीय कौलान्तक सिद्ध विद्यापीठ’ भी बृहस्पति कल्प पर आधारित सात दिनों का कोर्स आयोजित करता है।

‘अंतरराष्ट्रीय कौलान्तक सिद्ध विद्यापीठ’ सिद्ध धर्म पर आधारित धार्मिक विद्यापीठ है। यह विद्यापीठ ‘सिद्ध धर्म’ के सिद्धों का ज्ञान जगत को देता है। यह एक पंजीकृत विद्यापीठ है और सिद्ध धर्म के सिद्धों का ज्ञान मूल स्वरूप में जगत को देने के कानूनी अधिकार स्वयं के पास रखता है। यह विद्यापीठ सिद्ध धर्म का ज्ञान देश-विदेश के लोगों को देती है। आज के समय में संपूर्ण दुनिया एक गाँव की तरह करीब आ गई है। परंतु, सिद्ध धर्म अभी तक दुनिया में पहुँचा नहीं है, क्योंकि ‘गुरुमंडल’ सिद्ध धर्म के ज्ञान का प्रचार हिमालय से बाहर करने की अनुमति नहीं देता । गुरुमंडल ‘महासिद्ध ईशपुत्र’ पर विश्वास करता है तथा सिद्ध धर्म का ज्ञान जगत को देने का कार्य ‘महासिद्ध ईशपुत्र’ को दिया गया है। सिद्धों का संदेश विद्यापीठ के माध्यम से दुनिया को देने का कार्य दिया गया है। ‘अंतरराष्ट्रीय कौलान्तक सिद्ध विद्यापीठ’, एक तरह से सिद्धों का विद्यापीठ है। यहां अलग अलग तरह की विद्याओं को सिखाया जाता है।सिद्धों का ज्ञान जगत को देने के उद्देश्य से ही ‘आंतरराष्ट्रीय कौलान्तक सिद्ध विद्यापीठ’ को कानूनी तौर पे अलग से पंजीकृत किया गया है। यहां पर ‘महासिद्ध ईशपुत्र’ की विद्वत्ता का प्रयोग सिद्ध धर्म के ज्ञान के प्रसार हेतु किया जाता है। फिलहाल, इस विद्यापीठ के तीन केंद्र भारत देश में है। उनमें से एक हिमाचल प्रदेश के कुल्लू जिले के कोटला नामक गाँव मे है, दूसरा ऋषिकेश, उत्तराखंड में है, तीसरा सतारा, महाराष्ट्र में है। सतारा स्थित केन्द्र का निर्माण कार्य जारी है ।

बृहस्पति और बृहस्पति कल्प पर और जानकरी के लिए पढ़िए सिद्धपीड़िया का यह लेख :

बृहस्पति

 

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