भारत-ब्रिटेन में कोरोना संक्रमण हुआ था साथ शुरू, लेकिन ब्रिटेन में 2.20 लाख तो भारत में है लगभग 67 हजार मामले।
मरीजों को परिजन से मिलने की इजाजत नहीं है। उनके मनोरंजन के लिए हर बेड के साथ एक मॉनिटर लगा हुआ है।
(एनएलएन मीडिया – न्यूज़ लाइव नाऊ) : ओम तिवारी : दुनिया भर में कोरोना ने अतुलनीय कहर मचा रखा है, और विकसित देश भी इसके कारण घुटनों पर दिख रहे हैं। ब्रिटेन में 45 दिन तक बिना जांच के सिर्फ लक्षण के आधार पर कोरोना मरीज तय होते रहे। ब्रिटेन में पहला मरीज जनवरी के आखिरी हफ्ते में आया था, लेकिन इसकी पहचान आरटी-पीसीआर जांच से नहीं हुई थी। लक्षण के आधार पर सीटी स्कैन और चेस्ट एक्स-रे कर कोरोना की पुष्टि की गई थी। ऐसा 15 मार्च तक चलता रहा। तब तक 1100 मरीज मिले थे। 21 की मौत हो चुकी थी। मार्च के आखिरी में आरटी-पीसीआर किट पहुंची। भारत में पहला कोरोना मरीज 30 जनवरी को मिला था। भारत ने आरटी-पीसीआर जांच कर मरीज की पहचान की। आज भारत में 67 हजार से ज्यादा मामले हैं। जबकि ब्रिटेन में करीब 2.20 लाख केस आ चुके हैं। ब्रिटेन में पहले दो कोरोना मरीज चीन के दो यात्री थे। इसके बाद एक व्यापारी, जो चीन और हॉलैंड की यात्रा कर लौटे थे, उन्हें यह बीमारी हुई। मार्च के मध्य में सरकार ने इस बीमारी को कम्युनिटी ट्रांसमिशन बताया। शुरू में यहां के विशेषज्ञ मान रहे थे कि संक्रमण भयावह नहीं होगा। इसी से लॉकडाउन नहीं किया गया। हर्ड इम्युनिटी का रिस्क लिया गया, जो खतरनाक साबित हुआ। भले ही मरीजों की संख्या दो लाख के पार चली गई है, लेकिन इसे अब भी पीक नहीं कहा जा रहा है। सरकार ने 20 दिन में एक स्टेडियम में 4000 आईसीयू बेड वाला अस्थायी अस्पताल बनाया। आईसीयू में करीब 70 फीसदी मरीजों की मौत हो रही है। हालांकि यहां करीब 1500 मरीज ही गंभीर हैं। कोरोना मरीजों के इलाज में जुटे स्वास्थ्यकर्मी घर नहीं जा रहे हैं। वे अस्पताल के आसपास के आवास में रह रहे हैं। रेस्तरां इनके लिए मुफ्त में खाना पहुंचाते हैं। खाना पहुंचाने की तारीख पहले ही तय कर दी जाती है। मरीजों को परिजन से मिलने की इजाजत नहीं है। उनके मनोरंजन के लिए हर बेड के साथ एक मॉनिटर लगा हुआ है। इस पर मरीज अपनी पसंद के कार्यक्रम देख सकते हैं। दूसरे मरीजों को परेशानी न हो, इसलिए हेड फोन भी देते हैं। ब्रिटेन में लोग किसी न किसी जनरल प्रैक्टिसनर के पास रजिस्टर्ड हैं। डॉक्टर लॉकडाउन में फोन पर ही परामर्श देकर मरीज के घर दवाएं पहुंचाने का इंतजाम करते हैं। सरकार ने सोमवार से निर्माण कार्य फिर शुरू करने को मंजूरी दे दी है। पीएम बोरिस जॉनसन ने कहा कि निर्माण कार्यों से जुड़े कर्मचारी अगर घर से काम नहीं कर पा रहे हैं, तो वे कार्यस्थल जा सकते हैं। ब्रिटेन सहित अमेरिका जैसे अन्य विकसित देश भी कोरोना के कारण अपनी अर्थव्यवस्था को पटरी पर लाने की जी तोड़ कोशिश में लगे हैं।