(एनएलएन मीडिया – न्यूज़ लाइव नाऊ) : पाकिस्तान में पूर्व राष्ट्रपति परवेज मुशर्रफ (Pervez Musharraf) को फांसी की सजा सुनाए जाने के बाद से बवाल मच गया है। सरकार और सेना एक तरफ खड़े नजर आ रहे हैं तो कोर्ट दूसरी तरफ। Pervez Musharraf के खिलाफ सजा का ऐलान होने के बाद सेना ने इस फैसले की आलोचना की, तो शुक्रवार सुबह पाकिस्तान बार काउंसिल ने बयान जारी कर पाकिस्तान सेना के प्रवक्ता मेजर जनरल आसिफ गफूर के बयान को गलत बताया। वहीं इमरान खान सरकार के कानून मंत्री फरोग नसीम ने कहा कि फैसला सुनाने वाले हाई कोर्ट जज वकार अहमद सेठ ‘मानसिक रूप से अस्थिर’ हैं और उन्हें जज के पद से हटा दिया जाना चाहिए। बता दें, जस्टिस वकार अहमद सेठ ने 167 पेज से अपने फैसले में कहा है कि मुशर्रफ की मौत हो जाए, तो भी उसे दुबई से घसीट कर यहां लाया जाए तो तीन दिन तक इस्लामाबाद के डी-चौक तक उनकी लाश को टांग कर रखा जाए। बता दें, इस्लामाबाद में डी-चौक के पास ही राष्ट्रपति भवन, प्रधानमंत्री कार्यालय, संसद और सुप्रीम कोर्ट है। इस बीच, पाकिस्तान सरकार ने कहा कि वह ट्रिब्यूनल के प्रमुख जज को हटाने के लिए उच्चतम न्यायिक परिषद में अपील दाखिल करेगी। फैसले के बाद प्रधानमंत्री इमरान खान ने अपनी कानूनी टीम से विमर्श किया। इसके बाद उनके शीर्ष सहायकों ने मीडिया से बात की। इस दौरान कानून मंत्री फरोग नसीम ने कहा, ‘जज के मुताबिक, अगर मुशर्रफ की मौत भी हो जाती है तो उनके शव को फांसी पर लटकाया जाए। ऐसी सजा पाकिस्तान के किसी भी कानून के खिलाफ है। संघीय सरकार ने उच्चतम न्यायिक परिषद में जाने का फैसला किया है, क्योंकि सरकार का मानना है कि ऐसे व्यक्ति किसी हाई कोर्ट या सुप्रीम कोर्ट के जज नहीं हो सकते। बता दें, मुशर्रफ को यह सजा 2007 में पाकिस्तान पर आपातकाल थोपने, संविधान को निलंबित रखने और जजों को हिरासत में रखने के मामले में सुनाई गई है। वह 2016 से दुबई में रह रहे हैं।
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- पाकिस्तान: मुशर्रफ को लेकर कोर्ट और सेना आमने-सामने, इमरान के मंत्री ने जज को बताया मानसिक बीमार