(एनएलएन मीडिया – न्यूज़ लाइव नाऊ) : ओडिशा। क्या किसी इंसान को दूसरे धर्म के पवित्र स्थल में प्रवेश की इजाजत दी जा सकती है? वो भी जहां की मान्यता हो कि गैर धर्म का व्यक्ति धार्मिक स्थल में प्रवेश नहीं कर सकता।सुप्रीम कोर्ट ने इस मसले पर पूर्व सॉलिसिटर जनरल गोपाल सुब्रमण्यम को न्यायमित्र यानी एमिकस क्यूरी नियुक्त करते हुए 5 सितंबर तक सुझाव मांगा है।
पुरी के जगन्नाथ मंदिर में भगवान के दर्शन को सुलभ बनाने की मांग वाली याचिका पर सुनवाई के दौरान सुप्रीम कोर्ट ने एमिकस गोपाल सुब्रमण्यम से पूछा कि क्या किसी धार्मिक स्थल में किसी दूसरे धर्म के व्यक्ति का प्रवेश प्रतिबंधित किया जा सकता है? क्या उसे प्रवेश की इजाजत दी जा सकती है?
कोर्ट ने कहा कि अगर दूसरे धर्म का व्यक्ति ये शपथ दे कि वो धार्मिक स्थल की परंपरा, ड्रेस कोड और ईश्वर का सम्मान करेगा तो क्या उसे धार्मिक स्थल में प्रवेश की इजाजत दी जा सकती है?
वहीं, सुप्रीम कोर्ट ने पुरी के ज़िला जज को कहा कि आप शिकायत की जांच कर अपनी रिपोर्ट हाई कोर्ट को दें। इस मामले की सुनवाई के दौरान सुप्रीम कोर्ट ने सुझाव दिया कि पुरी के जगन्नाथ मंदिर का प्रशासन पुजारियों और श्रद्धालुओं के लिए मंदिर ड्रेस कोड बनाये ताकि श्रद्धालुओं का शोषण न हो। सुप्रीम कोर्ट ने ये भी कहा कि ये व्यवस्था केवल जगन्नाथ मंदिर में ही नहीं बल्कि देश के दूसरे कुछ धार्मिक स्थलों में भी हो। जैसे मां कामाख्या मंदिर और कालीबाड़ी मंदिर में आदि।
सुप्रीम कोर्ट अब 5 सितंबर को इस मामले में सुनवाई करेगा, तब तक अमाइकस के सुझाव भी आ जाएंगे। दरसअल याचिकाकर्ता मृणालिनी पाधी ने जगन्नाथ मंदिर में श्रद्धालुओं को होने वाली परेशानियों को लेकर सुप्रीम कोर्ट में याचिका दाखिल की है।
याचिका में कहा गया था कि इस विश्व प्रसिद्ध मंदिर के आसपास उतनी साफ-सफाई नहीं है जितनी जरूरत है। साथ ही मंदिर परिसर में अतिक्रमण है। याचिका में भी आरोप लगाया गया है कि मंदिर का प्रबंधन और अनुष्ठान का व्यवसायीकरण हो गया है, हर तरफ लूट मची है। लिहाजा इस पर कुछ नियम जरूरी हैं।