हांगकांगः जिला परिषद चुनाव में लोकतंत्र समर्थकों की बड़ी जीत
हांगकांग में छह महीनों से जारी विरोध-प्रदर्शनों के बीच रविवार को जिला परिषद के लिए रिकॉर्ड तोड़ 70 प्रतिशत वोटिंग हुई।
(एनएलएन मीडिया – न्यूज़ लाइव नाऊ): पुलिस की चाक-चौबंद व्यवस्था के बीच हांगकांग में स्थानीय निकाय के लिए रविवार को रिकॉर्ड मतदान हुआ। हांगकांग में छह महीनों से जारी विरोध-प्रदर्शनों के बीच रविवार को जिला परिषद के लिए रिकॉर्ड तोड़ 70 प्रतिशत वोटिंग हुई। मतदान के इस रुझान को सरकार विरोधी और लोकतांत्रिक समूह की भारी कामयाबी के तौर पर देखा जा रहा है। इस चुनाव को हांगकांग की नेता और चीफ एग्जिक्यूटिव कैरी लैम के लिए एक शक्ति परीक्षण के तौर पर देखा जा रहा है। लोकतंत्र समर्थक विरोध समूहों को उम्मीद है कि करीब छह महीने की अशांति और सरकार विरोध के बाद हुई वोटिंग से चीनी सरकार को एक संदेश मिलेगा। वित्तीय हब माने जाने वाले हांगकांग में लोकतंत्र समर्थक उम्मीदवारों ने पहली बार 452 जिला परिषद सीटों में से आधे से अधिक पर जोरदार जीत हासिल की है। जब आधी रात के बाद नतीजे आने शुरू हुए तो बीजिंग समर्थक लोग डेमोक्रेट्स की जीत से परेशान नजर आए।कुछ मतदान केंद्रों पर लोकतंत्र समर्थक जोर-शोर से ‘लिबरेट हांगकांग, रिव्योलूशन नाऊ’ के नारे लगा रहे थे।हांगकांग की सड़कों पर यह नारा पिछले छह महीने से गूंज रहा है। अपना वोट डालने के बाद हांगकांग की मुख्य प्रशासक कैरी लैम ने कहा कि उनकी सरकार निकायों की सिफारिशों को गंभीरता से लेती है। वे शासन में प्रभावी भूमिका अदा करती हैं। इसलिए लोगों में उनके प्रति विश्वास की भावना है। बढ़-चढ़कर मतदान लोगों की इसी भावना को प्रतिबिंबित करता है। लैम ने उम्मीद जताई कि हांगकांग में रविवार जैसी शांति और स्थिरता आने वाले दिनों में भी कायम रहेगी और लोग छह महीने से चली आ रही अशांति से हुए कष्टों को भूलने की कोशिश करेंगे। कोई नहीं चाहता हांगकांग अव्यवस्था वाली पुरानी स्थितियों में लौटे। वहीं 19 वर्षीय छात्र माइकेल एनजी ने कहा, ज्यादा मतदान से लोकतंत्र की हमारी इच्छा मजबूत होकर निकायों में पहुंचेगी। लोकतंत्र की मांग वाले आंदोलन में शामिल रहे माइकेल ने पहली बार मतदान किया था। कुल 18 जिला स्तरीय निकायों की 452 सीटों के लिए मतदान हुआ।हांगकांग में चीन के साथ प्रत्यर्पण संधि के प्रस्ताव के विरोध में शुरू हुआ आंदोलन धीरे-धीरे लोकतंत्र और आजादी की मांग वाले आंदोलन में तब्दील हो गया। यह आंदोलन करीब छह महीने चला जिसमें भारी ¨हसा हुई। इस ¨हसा के चलते हांगकांग की छवि को नुकसान हुआ, साथ ही हजारों करोड़ की सार्वजनिक संपत्ति और कारोबार का नुकसान हुआ। 2012 में चीन की सत्ता संभालने वाले चीन के राष्ट्रपति शी चिनफिंग के लिए यह दौर सबसे बड़ी चुनौती बनकर उभरा। अब जबकि हफ्ते भर से हालात काबू में हैं, तब लोगों ने चैन की सांस ली है।