साढ़े 5 हजार लावारिस लाशों का अंतिम संस्कार कर चुके हैं चाचा शरीफ, मोदी सरकार ने दिया पद्मश्री!

(एनएलएन मीडिया – न्यूज़ लाइव नाऊ) : मोदी सरकार ने वर्ष 2020 के पद्म पुरस्कारों का एलान कर दिया है. ये एलान गणतंत्र दिवस की पूर्व संध्या पर किया गया. इस वर्ष 7 हस्तियों को पद्म विभूषण, 16 शख्सियतों को पद्म भूषण और 118 लोगों को पद्म श्री देने का ऐलान किया गया है. इस साल भारत रत्न का ऐलान नहीं किया गया है. पद्म पुरस्कारों की लिस्ट में कुछ ऐसे भी नाम हैं जो बिना चर्चा में रहे अपना काम बखूबी कर किए हैं। उनमें से एक हैं अयोध्या के चाचा शरीफ जिनका नाम मोहम्मद शरीफ. अयोध्या के चाचा शरीफ को पद्मश्री देने का एलान किया गया है. मोहम्मद शरीफ को पद्मश्री देना उन लोगों को जवाब है जो कहते हैं कि मोदी सरकार मुस्लिम समुदाय के खिलाफ काम कर रही है जबकि ये कदम मोदी सरकार के उस दावे को मजबूत करता है जिसमें वह सबका साथ सबका विकास की बात कहती है. बता दें कि अयोध्या के चाचा शरीफ के नाम से चर्चित मोहम्मद शरीफ लंबे समय से लावारिस शवों का अंतिम संस्कार करते आये हैं. बेटे की हत्या के बाद उन्होंने इस नेक काम का जिम्मा उठाया और अब तक वह साढ़े पांच हजार से ज्यादा शवों का अंतिम संस्कार करा चुके हैं. चाचा शरीफ इस सम्मान से बेहद अभिभूत हैं और कहते हैं कि मोदी सरकार ने मेरी सेवाओं की कद्र कर मुझे यह सम्मान दिया है. इस सरकार ने बिना किसी भेदभाव के निर्णय किया है. लावारिस लाशों के अंतिम संस्कार करके चर्चा में रहने वाले मोहम्मद शरीफ ने कहा कि मैं चाहता हूं कि यह सरकार सत्ता में बनी रहे और जैसी जनहित की योजनाएं चला रही है, उसमें और बढ़ोतरी करें. मोहम्मद शरीफ ने पद्मश्री सम्मान देने के लिए पीएम मोदी को धन्यवाद दिया है. मोहम्मद शरीफ ने कहा कि पीएम मोदी जैसा पूरी दुनिया में कोई इंसान नहीं, वह एक फरिश्ते की तरह हैं जिन्होंने गरीबों के लिए और काम किया है. बता दें कि पिछले 27 सालों से हिंदू-मुस्लिम, सिख हो या इसाई किसी भी लावारिस लाश को फेंकने नहीं दिया. शरीफ के लिए हिंदू हो तो सरयू घाट पर अंतिम संस्कार और मुस्लिम हो तो कब्रिस्तान में दफन करना रोजमर्रा का काम बन गया था. शरीफ अब तक लगभग 3000 हिन्‍दू और 2500 मुस्लिम लावारिश शवों का अंतिम संस्कार करवा चुके हैं. अयोध्या के चाचा शरीफ द्वारा लावारिस शवों की अंत्येष्टि के पीछे की कहानी कुछ यूं है. शरीफ का एक बेटा मेडिकल सर्विस से जुड़ा था. एक बार वह सुल्तानपुर गया था, जहां उसकी हत्या करके शव को कहीं फेंक दिया गया था. परिजन ने उसे बहुत खोजा, पर लाश नहीं मिली. उसी के बाद शरीफ ने लावारिस शवों को ढूंढ़-ढूंढ़ कर उसका अंतिम संस्कार करने का प्रण लिया था. बता दें कि आम लोगों के बीच वह ‘शरीफ चाचा’ के नाम से मशहूर हैं। आम लोगों के बीच वह ‘शरीफ चाचा’ के नाम से मशहूर मोहम्मद शरीफ कहते हैं कि जब तक उनमें जान है, वह लावारिस शवों का अंतिम संस्कार करते रहेंगे. उन्होंने कहा कि इस सेवा से उन्हें सुकून मिलता है. मैं 27 सालों से इस सेवा में जुटा हूं. मीडिया ने बेहद लगाव रखा और इस सेवाभाव का प्रचार भी किया, लेकिन ऐसे काम को सबसे बड़ा सम्मान दिया मोदी सरकार ने. इसके पहले की सरकारों ने मेरे काम को कोई तवज्जो नहीं दी.

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