सरकार के हाथ गांव की तबाही रोकने के लिए बुजुर्ग ने कर दी पूरे गांव भर पेंटिंग, साल में 10 लाख लोग आते हैं यहां

हुआंग सैनिक रह चुके हैं। 2008 में चीन सरकार ने ताइचुंग के 28 लाख आबादी वाले एक गांव को तबाह करने के आदेश दिए थे

(एनएलएन मीडिया – न्यूज़ लाइव नाऊ) : चीन सरकार ने ताइवान के एक गांव को खत्म करने के आदेश दिए थे। इसके बाद 96 साल के बुजुर्ग हुआंग युंग-फू ने पूरे गांव के घरों पर ही पेंटिंग बना दी। 80 हजार लोगों ने याचिका दायर कर युंग की मेहनत की बात सरकार तक पहुंचाई। लिहाजा सरकार को अपना फैसला वापस लेना पड़ा। हुआंग सैनिक रह चुके हैं। 2008 में चीन सरकार ने ताइचुंग के 28 लाख आबादी वाले एक गांव को तबाह करने के आदेश दिए थे। गांव बर्बाद होने से बचाने के लिए हुआंग ने रात में घरों की दीवारों, दरवाजों, बरामदे और खिड़कियों पर पेंटिंग बनाना शुरू कर दिया। हुआंग स्टूल, रंग और ब्रश लेकर घर से निकलते हैं और घरों पर 3 घंटे तक पेंटिंग बनाते हैं। उनका ये सिलसिला आज भी जारी है।

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हुआंग ने जब पेंटिंग बनाना शुरू किया था, तब गांव में उनके बेडरूम में लगी हाथ से बनी एक ही पेंटिंग हुआ करती थी। अाज पूरे गांव में हजारों चित्र हैं। इसलिए गांव को रेनबो विलेज कहा जाता है। हुआंग को लोग ग्रैंडपा रेनबो कहकर बुलाते हैं। गांव मशहूर हो चुका है, हर साल यहां 10 लाख से ज्यादा लोग घूमने आते हैं।

Village

हुआंग दायरे में रहकर पेंटिंग नहीं करते। दरो-दीवार पर आपको जंगली-पालतू जानवरों से लेकर बच्चों के कार्टून कैरेक्टर, पक्षी, पांडा, समुराई (जापानी योद्धा), एस्ट्रोनॉट्स तक के चित्र मिल जाएंगे। हुआंग के मुताबिक, 10 साल पहले गांव को खत्म करने की धमकी दी गई थी। लेकिन हम यहां से नहीं गए क्योंकि हमारे लिए यही ताइवान है। बस तभी से मैंने पेंटिंग बनाना शुरू कर दिया।

Huang

चीन के गुआंगझू में पैदा हुए हुआंग पांच साल की उम्र में पेंटिंग करने लगे थे। 1937 में वे महज 15 साल की उम्र में घर से भाग गए और चीन की तरफ से जापान के साथ हुए दूसरे युद्ध में हिस्सा लिया। द्वितीय विश्व युद्ध के बाद हुआंग माओत्से तुंग की कम्युनिस्ट पार्टी के खिलाफ नेशनलिस्ट पार्टी की जंग में शामिल हो गए।

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1949 में नेशनलिस्ट पार्टी की हार गई और माओ ने पीपुल्स रिपब्लिक पार्टी की स्थापना की। नेशनलिस्ट पार्टी के नेता चियांग काई शेक और 20 लाख की फौज को ताइवान निर्वासित कर दिया गया। इसमें हुआंग भी शामिल थे। नेशनलिस्टों का चीन पर काबिज होने का सपना चूर-चूर हो गया। उन्होंने ताइवान में छोटे-छोटे मकान बनाए। ताइवान सरकार ने बड़ी इमारतें बनवाने के लिए सैनिकों के गांवों को खत्म करने का फैसला किया। 1980 और 90 के दशक में कई गांव खत्म कर दिए गए। सैनिकों के 879 गांवों में से आज महज 30 बचे हैं।

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