वकीलोंं ने सुप्रीम कोर्ट में स्वीकारा- मैगी में था लेड !
सुप्रीम कोर्ट ने गुरुवार को तीन साल बाद इस मामले में फिर से कार्रवाई की इजाज़त भी सरकार को दी है
(एनएलएन मीडिया – न्यूज़ लाइव नाऊ) : मैगी बनाने वाली नेस्ले(Nestle) कंपनी के वकीलों ने ये बात मान ली कि 2015 में मैगी में लेड यानि सीसा की मात्रा तय सीमा से ज्यादा थी। सुप्रीम कोर्ट ने गुरुवार को तीन साल बाद इस मामले में फिर से कार्रवाई की इजाज़त भी सरकार को दी है। जिससे नेस्ले को बड़ा झटका लगा है। अब एक बात साफ है कि 2015 में इस पूरे विवाद को उठाने और नेस्ले पर हर्जाना मांगने वाली सरकार एक बार फिर नेस्ले से दो-दो हाथ के पूरे मूड में है। एक बार फिर सरकार और नेस्ले आमने-सामने होगी। गुरूवार को जस्टिस डी वाई चंद्रचूड़ की अध्यक्षता वाली बेंच ने ये सुनवाई की थी जिसमें कहा गया मैगी के नमूनों के बारे में मैसूर स्थित केंद्रीय खाद्य प्रौद्योगिकी संस्थान(CFTRI)) की रिपोर्ट कार्रवाई का आधार मानी जाएगी।ये पूरा मामला 2015 में सामने आया था जब उपभोक्ता मामलों के मंत्रालय ने नेस्ले इंडिया के खिलाफ एनसीडीआरसी में शिकायत की थी और 640 करोड़ रुपए का हर्जाना भी मांगा था। लेकिन सरकार के इस शिकायत पर नेस्ले इंडिया ने आपत्ति जताई और उसके वकीलों का कहना था कि मैगी में तय मानक से ज्यादा लेड(सीसा) मौजूद नहीं है। तब सुप्रीम कोर्ट ने एनएसडीआरसी की ओर से की जा रही सुनवाई पर रोक लगाई थी। हलांकि इस दौरान मैगी का पूरे देश में भारी विरोध हुआ था। धीरे धीरे नेस्ले ने दोबारा उपभोक्ताओं को विश्वास में लिया था लेकिन अब वकीलों ने साफ मान लिया है कि उस वक्त मैगी में ज़रूरत से ज्यादा लेड मौजूद था।सीसा सेहत के लिए काफी हानिकारक माना जाता है इससे खून की कमी हो सकती है, जोड़ो में समस्या, सीखने की क्षमता परअसर, ,किडनी को नुकसान, लीवर पर खतरा,न्यूरोलॉजिकल डिसऑर्डर का ख़तरा हो सकता है।