(न्यूज़ लाइव नाऊ) : सुप्रीम कोर्ट में यौन उत्पीडन या किसी अन्य तरह के यौन अपराध में महिलाओं को भी सजा देने की मांग की गयी है. इस प्रावधान की ज़रूरत इसलिए है क्योंकि कई बार भी पीड़ित होते हैं और पुराने कानूनके अनुसार महिला को दोषी करार देकर सजा नही सुनाई जा सकती.
याचिका में हाल के व्यभिचार कानून का हवाला देते हुए कहा गया है कि अगर इस कानून को लैंगिग आधार पर निष्पक्ष बनाना है तो ये प्रावधान जरूरी होंगे. मौजूदा कानून के मुताबिक अगर पुरुष ऐसे किसी भी मामले में महिला के खिलाफ शिकायत करता है तो वह बिना किसी सजा के बच सकती है क्योंकि 158 साल पुराने इस कानून के मुताबिक ऐसे जुर्म सिर्फ पुरुष ही कर सकता है.
याचिकाकर्ता ऋषि मल्होत्रा के ने कहा कि जुर्म का किसी लिंग से कोई-लेना देना नहीं है और कानून का भी नहीं होना चाहिए. उनके मुताबिक कानून अपराधी और जुर्म करने वाले किसी भी शख्स के बीच अंतर नहीं मानता, दोनों ही सजा के हकदार हैं. उन्होंने कहा कि जिस वजह से पुरुष जुर्म करते हैं उसी वजह से कोई महिला भी अपराध कर सकती है.
याचिकाकर्ता मुताबिक हाल के सर्वे में सामने आया है कि 222 भारतीयों पुरुषों में से 16 फीसदी ऐसे हैं जिन्हें शारीरिक संबंध बनाने के लिए मजबूर किया जाता है. उन्होंने कहा कि महिलाओं के रेप पर तो बात होती है लेकिन पुरुषों के रेप पर कोई बात नहीं करता, पुरुषों के साथ रेप के कई ऐसे आंकड़े हैं, जो कि आम धारणा से भी ज्यादा हैं.
याचिका में कहा गया है कि रेप के मामले उम्र, स्थान और लिंग की सीमाओं को लांघ चुके हैं, इसीलिए अगर लैंगिग भेदभाव के बिना एक कानून की जरुरत है जो ऐसे मामलों में बराबरी के आधार पर सजा दे.