इस तरह की हेडिंग के साथ आपने एक खबर पढ़ी थी 20 मई को. केरल के पेट्टा का मामला था. कहा गया कि लड़की ने आत्मरक्षा में पन्माना आश्रम के गणेशनंत तीर्थपादर के साथ ऐसा किया था. पूजा-पाठ के बहाने वो लड़की का रेप करता था. इस मामले में अब लड़की अपने बयान से पलट गई है. बाबा के वकील ने लड़की का एक बयान कोर्ट में पेश किया है, जिसके मुताबिक उसने बाबा पर लगाए सारे आरोप वापस ले लिए हैं.
लड़की का कहना है कि गणेशनंत अपनी बेटी की तरह उसकी परवाह करते थे और उन्होंने ही उसे वकालत की पढ़ाई के लिए प्रेरित किया था. बाबा ने कभी उसके साथ रेप की कोशिश नहीं की. लिंग काटने वाली घटना पर लड़की ने कहा कि 20 मई को जब बाबा उसके यहां आए, तो उसके दोस्त अयप्पादास को लगा कि बाबा घर में चोरी के इरादे से घुसे हैं. इसलिए अयप्पादास ने बाबा पर हमला किया. रेप और आत्मरक्षा में लिंग काटने वाली कहानी पुलिस की बनाई हुई है और उसने सिर्फ पुलिस की हां में हां मिलाई थी.
मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक लड़की ने 20 मई की घटना के बाद पुलिस को दिए अपने बयान में कहा था कि बाबा बचपन से उसके साथ रेप कर रहा था. इसके बाद बाबा पर POCSO की धाराओं के तहत रेप का मामला दर्ज किया गया. केरल के मुख्यमंत्री पिनरई विजयन ने लड़की की ‘बहादुरी’ की तारीफ भी की थी.
सेक्शुअल असॉल्ट के मामले में ‘न्याय’ करने का एक नया तरीका ईजाद हुआ है इन दिनों. हमलावर का लिंग काट लिया जाता है. बात सामने आती है, तो भयंकर फुटेज पाती है और तुरंत अपराधी-पीड़ित तय हो जाते हैं. बिना अदालत गए. इस एक मामले में सच जो भी हो, ‘फटाफट न्याय’ का ये तरीका हर तरह से गलत है.