रानिल विक्रमसिंघे ने ली श्रीलंका के प्रधानमंत्री पद की शपथ, 51 दिन से चला आ रहा गतिरोध हुआ खत्म।
विक्रमसिंघे के प्रधानमंत्री बनते ही श्रीलंका में 51 दिन से चला आ रहा गतिरोध खत्म हो गया। संकट से देश की अर्थव्यवस्था को नुकसान हुआ है।
(एनएलएन मीडिया – न्यूज़ लाइव नाऊ) : श्रीलंका में यूनाइटेड नेशनल पार्टी के नेता रानिल विक्रमसिंघे ने रविवार को दोबारा प्रधानमंत्री शपथ ली। 26 अक्टूबर को राष्ट्रपति मैत्रीपाला सिरिसेना ने विक्रमसिंघे को पद से हटाकर महिंदा राजपक्षे को प्रधानमंत्री बना दिया था। विक्रमसिंघे के प्रधानमंत्री बनते ही श्रीलंका में 51 दिन से चला आ रहा गतिरोध खत्म हो गया। संकट से देश की अर्थव्यवस्था को नुकसान हुआ है। विक्रमसिंघे भारत समर्थक और चीन के विरोधी माने जाते हैं। – श्रीलंका के विवादित प्रधानमंत्री राजपक्षे ने शनिवार को इस्तीफा दे दिया था। उन्होंने पीएम बनने के 51वें दिन पद छोड़ा। श्रीलंका के किसी भी प्रधानमंत्री का एक बार में यह सबसे कम समय का कार्यकाल है। विक्रमसिंघे के समर्थकों ने राष्ट्रपति के फैसले के विरोध में देशभर में प्रदर्शन किया था। संसद में राजपक्षे के खिलाफ दो बार अविश्वास प्रस्ताव पास हुआ, लेकिन राष्ट्रपति ने संसद भंग कर दी। सुप्रीम कोर्ट ने भी राष्ट्रपति के फैसले को गैरकानूनी करार दिया था। राजपक्षे के समर्थक सांसद लक्ष्मण यापा के मुताबिक- राष्ट्रपति ने शुक्रवार को राजपक्षे के साथ बैठक की। उसके बाद उन्होंने इस्तीफे का फैसला किया। राजपक्षे के बेटे नमल ने कहा कि उनके पिता ने देश की स्थिरता के लिए पद छोड़ा। सिरिसेना द्वारा राजपक्षे को प्रधानमंत्री बनाए जाने के बाद विक्रमसिंघे ने कहा था, “राष्ट्रपति के पास प्रधानमंत्री को हटाने का अधिकार नहीं है। मेरे पास संसद में बहुमत है।” राजपक्षे ने कहा था कि वह सत्ता में हैं। राष्ट्रपति का फैसला देश की अर्थव्यवस्था को पटरी पर लाने के लिए जरूरी था। सिरिसेना ने कहा कि उन्होंने देश काे संघर्ष की स्थिति से बचाने के लिए राजपक्षे को प्रधानमंत्री बनाया। राजपक्षे 2005 से 2015 तक श्रीलंका के राष्ट्रपति भी रहे। खास बात यह है कि राजपक्षे की सरकार में सिरिसेना मंत्री थे। सिरिसेना ने 2015 में विक्रमसिंघे से गठजोड़ किया। दोनों ने चुनाव में राजपक्षे को हराया। सिरिसेना और विक्रमसिंघे ने मिलकर सरकार बनाई। बाद में सिरिसेना और विक्रमसिंघे के रिश्ते बिगड़े। सिरिसेना ने विक्रमसिंघे को प्रधानमंत्री पद से हटा दिया। सिरिसेना ने कहा था कि विक्रमसिंघे ने केंद्रीय बैंक के बॉन्ड बेचे। इससे देश को 1100 करोड़ रुपए का नुकसान हुआ। विक्रमसिंघे ने यह आरोप भी लगाया कि एक कैबिनेट मंत्री उनकी हत्या की साजिश में शामिल था। – श्रीलंका में 1947 में प्रधानमंत्री पद बनाया गया था। इन 70 साल में केवल दो प्रधानमंत्रियों डुडले सेनानायके और सिरिमावो भंडारनायके ने 5 साल का कार्यकाल पूरा किया। सिरिमाव चार बार पीएम रहीं। इनमें वह दो बार लगातार प्रधानमंत्री थीं। कुल मिलाकर करीब 17 साल प्रधानमंत्री रहीं। महिंदा राजपक्सा दो बार प्रधानमंत्री रहे। इस बार केवल 51 दिन प्रधानमंत्री रहे। पिछली बार 6 अप्रैल 2004 से 19 नवंबर 2005 तक प्रधानमंत्री रहे। विक्रमसिंघे तीन बार 1993, 2001 और 2015 में प्रधानमंत्री बनाए गए। विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता रवीश कुमार ने कहा, “श्रीलंका भारत का पड़ोसी और मित्र देश है, लिहाजा हम वहां राजनीतिक अस्थिरता खत्म होने का स्वागत करते हैं। श्रीलंका की राजनीतिक दलों ने गतिरोध को सुलझाने के लिए गंभीरता का परिचय दिया ताकि वहां लोकतंत्र कायम रह सके। भारत श्रीलंका की विकास परियोजनाओं के लिए प्रतिबद्ध है। हमें भरोसा है कि दोनों देशों के संबंध आने वाले वक्त में और मजबूत होंगे।’