मध्य प्रदेश के 28 सीटों पर मतगणना शुरू, शिवराज और कमलनाथ के बीच सत्ता की टक्कर।
पूर्व केंद्रीय मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया सहित कांग्रेस के तत्कालीन 22 विधायकों ने कांग्रेस को झटका देते हुए भाजपा का दामन थाम लिया था, जिसके कारण कमल नाथ सरकार गिरी और उपचुनाव की नौबत आई।
(एनएलएन मीडिया – न्यूज़ लाइव नाऊ): मध्य प्रदेश सत्ता के समीकरण के अत्यंत महत्वपूर्ण चुनाव के नतीजे आने वाले हैं। मध्य प्रदेश में 28 विधानसभा सीटों पर हुए उपचुनाव के लिए वोटों की गिनती शुरू हो गई है। नतीजों से तय हो जाएगा कि मध्य प्रदेश में सत्ता पर मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान बने रहेंगे या कांग्रेस नेता कमल नाथ की एक बार फिर वापसी होगी। पूर्व केंद्रीय मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया सहित कांग्रेस के तत्कालीन 22 विधायकों ने कांग्रेस को झटका देते हुए भाजपा का दामन थाम लिया था, जिसके कारण कमल नाथ सरकार गिरी और उपचुनाव की नौबत आई। इन 28 विधानसभा सीटों में से 27 सीटों पर कांग्रेस का कब्जा था। शिवराज को अपनी सरकार बनाए रखने के लिए 9 सीटों पर जीत दर्ज करना जरूरी है। मध्य प्रदेश में इससे पहले इतनी सीटों पर उपचुनाव नहीं हुए हैं।
उपचुनाव के परिणाम जितने भाजपा के लिए महत्वपूर्ण हैं, उतने ही कांग्रेस के लिए भी। इनके परिणामों पर कांग्रेस के दिग्गज नेता कमल नाथ और दिग्विजय सिंह का भविष्य निर्भर करेगा। पार्टी को सत्ता में वापस लाने में ये जोड़ी सफल रही तो दोनों नेताओं का कद राष्ट्रीय स्तर पर बढ़ेगा और हार मिली तो दोनों के सियासी सफर पर ब्रेक भी लग सकता है। ऐसा होने पर प्रदेश में कांग्रेस की नई पीढ़ी को आगे आने का मौका मिलेगा।
कोरोना महामारी के बीच 3 नवंबर को हुए मतदान में 70 फीसद से अधिक वोटिंग हुई थी। 2018 के विधानसभा चुनावों में इन 28 सीटों पर 72.93 प्रतिशत मतदान हुआ था। इस उपचुनाव में प्रदेश के 12 मंत्रियों सहित 355 उम्मीदवारों की किस्मत का भी फैसला होगा। इमरती देवी, डॉ.प्रभुराम चौधरी, महेंद्र सिंह सिसौदिया, एदल सिंह कंषाना, हरदीप सिंह डंग, राजवर्धन सिंह दत्तीगांव, बृजेंद्र सिंह यादव, प्रद्युम्न सिंह तोमर, बिसाहूलाल सिंह, गिर्राज डंडौतिया, सुरेश धाकड़ और ओपीएस भदौरिया चुनाव मैदान में हैं। इन चुनावों के नतीजों से मध्य प्रदेश का सत्ता समीकरण बदल भी सकता है।