हिमाचल प्रदेश: (कुल्लु)
‘मयूरी सिमज़िया’ ये नाम अब हर किसी की ज़ुबान पे है। इनको अब ‘अप्सरा मयूरी’ के नाम से भारत के साथ-साथ विदेशों में भी प्रसिद्धि मिल रही है। ये जब नाचतीं हैं तो स्टेज को ही स्वर्ग बना देती हैं। हाल ही में ‘हिमाचल प्रदेश’ स्थित ‘कुल्लू’ के विश्वप्रसिद्ध आध्यात्मिक केंद्र ‘कौलान्तक पीठ’ में जब ‘अप्सरा मयूरी’ मंच पर आईं, तो दर्शक उनकी परफॉर्मेंस देख कर ‘मंत्रमुग्ध’ हो गए। उनहोंने एक के बाद एक शानदार प्रस्तुतियां दीं। ‘भारत’ के अन्य राज्यों के साथ-साथ अब ‘अप्सरा मयूरी’ हिमाचलवासियों के दिल में भी जगह बना गई हैं। उनसे नृत्य सीखने वाले युवक-युवतियों की लम्बी कतार लग गई है।
‘न्यूज़ लाइव नाऊ’ नें ‘मयूरी सिंज़िया’ से बात की और उनके जीवन के कुछ रोचक पहलुओं को जाना।
मुम्बई की प्रसिद्ध कत्थक नृत्यांगना मयूरी का जन्म ईस्ट अफ़्रीका के तंज़ानिया में हुआ। इनकी परवरिश और प्रारम्भिक स्कूली पढ़ाई-लिखाई भी तंज़ानिया में ही हुई। इनके माता-पिता का ‘तंज़ानिया’ में ही एक गारमेंट्स का शोरूम है। ‘अप्सरा मयूरी’ को बचपन से ही ‘नृत्य’ और ‘अभिनय’ में गहरी रुची थी। ‘अप्सरा मयूरी’ 4 बहने हैं। वो बचपन में भी अक्सर नृत्य का मौका ढूढ़ती रहती थी। उनको हमेशा ऐसा लगता था कि वो नृत्य के लिए ही पैदा हुई। अपने नृत्य की चाहत में इन्होने स्कूल भी बीच में छोड़ दिया और भारत आ गईं।
भारत आ कर ‘बड़ोदा म्यूजिक कॉलेज’ में इन्होंने ‘पंडित जगदीश गंगानी’ को नाचते हुए देखा और अत्यंत प्रभावित हुई। यही वो मौक़ा था जब इनका झुकाव ‘कत्थक’ नृत्य शैली की ओर हुआ। किन्तु ‘कत्थक’ बिना गुरु के सीख़ पाना लगभग असंभव था। तब उनहोंने ‘पंडित जगदीश गंगानी’ से मिल कर नृत्य सीखने की प्रार्थना की।’पंडित जगदीश गंगानी’ के कुशल ‘नृत्य ज्ञान’ ने ‘मयूरी सिमज़िया’ को सांचे में तराश कर तैयार किया।
‘अप्सरा मयूरी’ में नृत्य ऐसी दीवानगी थी कि वो दिनरात अभ्यास में जुटी रहती थीं। 21 वर्ष की उम्र से ‘अप्सरा मयूरी’ नें ‘कत्थक नृत्य’ की दुनिया में कदम रखा। ‘अप्सरा मयूरी’ के गुरु ‘जयपुर घराने’ के ‘कत्थक गुरु’ हैं। अपने ‘कत्थक गुरु’ के आशीर्वाद से ‘अप्सरा मयूरी’ ने ‘एम. एस. यूनिवर्सिटी’ से ‘कत्थक डांस’ में डिप्लोमा किया और जल्द ही ‘बॉलीवुड’ की दुनिया में कदम रखा।
छोटे परदे पर भी ‘अप्सरा मयूरी’ ने एक लम्बी पारी खेली है।उनके कुछ प्रसिद्द टीवी सीरियलस हैं ‘एक डाल ना पंखी'(गुजराती), जिंदगी एक सफर, चंद्रमुखी, कल हमारा होगा, सोनू स्वीटी आदि। इसके साथ-साथ उन्होंने उड़िया फ़िल्म जगत में भी हाथ आज़माया। भारत और ईस्ट अफ्रीका के कई मंचों पर अपनी ‘मनमोहक’ प्रस्तुतियां दी हैं। ‘नैरोबी’ में भी ‘अप्सरा मयूरी’ की प्रस्तुतियों की सराहना हुई।
2012 में ‘अप्सरा मयूरी’ का विवाह ‘अजय कुमार नैन’ से हो गया। ‘अजय’ भी बॉलीवुड अभिनेता हैं और मुम्बई में ही रहते हैं। जब ‘न्यूज़ लाइव नाउ’ नें ‘मयूरी’ से उनकी रुचियों के बारे में पूछा तो ‘अप्सरा मयूरी’ ने बताया कि उनको साधारण भोजन जैसे रोटी-सब्जी, दाल-चावल आदि ज्यादा पसंद हैं। ‘ऑरेंज कलर’ उनका पसंदीदा रंग है। ‘मालदीव्स’ में छुटियाँ बिताना उनके लिए सुखद अनुभव होता है। फ़िल्म जगत में अभिनेता ‘अमिताभ बच्चन’ और अभिनेत्री ‘रेखा’ को वो बहुत पसंद करती हैं।
कत्थक का अभ्यास करते हुए उनको ठुमरी, ततकार बेहद पसंद है। ‘अप्सरा मयूरी’ धार्मिक और आध्यात्मिक जगत से भी जुडी हुई हैं। इनकी चाहत है कि इनके माता-पिता इनको और अधिक प्रेम दें। साथ ही ‘अप्सरा मयूरी’ ने बताया कि नृत्य उनके लिए एक साधना है और मंच उनके लिए ‘कला मंदिर’ है। सदा नृत्य की दुनिया में ही रहना चाहती हैं।
उनहोंने बताया कि समय का अभाव होने के कारण वो फिलहाल नृत्य नहीं सिखा पा रहीं हैं लेकिन जल्द ही वो नृत्य सिखाना भी शुरू कर देंगी। जब हमने उनसे पूछा कि अब आप कब ‘हिमाचल’ की सुन्दर वादियों में लौटेंगी तो उनहोंने जल्द आने की इच्छा व्यक्त की।