भारत की कृषि सब्सिडी रास नहीं आई अमेरिका को, कृषि सब्सिडी के ख़िलाफ़ अन्य देशों को भी भड़का रहा अमेरिका।

गौरतलब है कि मई में डाड ने डब्ल्यूटीओ की एग्रीकल्चर समिति को अमेरिका का पहला काउंटर नोटिफिकेशन दिया था जहां चावल और गेहूं के लिए भारत के मार्केट प्राइस सपोर्ट पर चिंता जाहिर की थी।

(एनएलएन मीडिया – न्यूज़ लाइव नाऊ) : अमेरिका ने भारत पर आरोप लगाया है कि वह अपने गेहूं और चावल किसानों को भारी मात्रा में सब्सिडी उपलब्ध करा रहा है। इतना ही नहीं उसने कहा कि दूसरे देशों को भारत की ‘व्यापार तोड़ने वाली पॉलिसी’ को लेकर चिंतित होने की जरूरत है। चीफ एग्रीकल्चर नेगोशिएटर ऑफिस के यूएस ट्रेड रीप्रेजेंटेटिव (USTR) ग्रेग डाड ने यह बयान एक कांग्रेस सम्मेलन याचिका के दौरान दिया। डाड ने कानून निर्माताओं को बताया कि दुनिया भर के प्रत्येक चावल या गेहूं पैदा करने वाले देशों को भारत के ट्रेड डिस्टॉर्ट डोमेस्टिक सपोर्ट से होने वाले प्रभावों को लेकर चिंतित होना चाहिए। गौरतलब है कि मई में डाड ने डब्ल्यूटीओ की एग्रीकल्चर समिति को अमेरिका का पहला काउंटर नोटिफिकेशन दिया था जहां चावल और गेहूं के लिए भारत के मार्केट प्राइस सपोर्ट पर चिंता जाहिर की थी। डाड ने आरोप लगाते हुए कहा कि अमेरिका का अनुमान है कि साल 2010 से 2014 के बीच भारत की ओर से चावल किसानों को प्रोडक्शन वैल्यू का 74 फीसदी से 84.2 फीसदी MSP सपोर्ट दिया गया। वहीं, गेहूं किसानों को प्रोडक्शन वैल्यू का 60.1 फीसदी से 68.5 फीसदी MSP सपोर्ट दिया गया है। जबकि भारत के पास किसी एक कमोडिटी के प्रोडक्शन वैल्यू का केवल 10 फीसदी तक सपोर्ट देने की अनुमति है। उन्होंने कहा कि बीते पांच साल में भारत ने 5.3 अरब डॉलर से 8 अरब डॉलर का चावल निर्यात किया है जोकि दुनिया में किसी भी देश से ज्यादा है। इसी दौरान भारत का वैश्विक गेहूं निर्यात 7 लाख डॉलर से 1.9 अरब डॉलर के बीच रहा।

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