भारत की एयरलाइंस ने पिछले साल करीब 15000 यात्रियों को सफर करने से रोका है, जिसमें हर चार में से एक यात्री जेट एयरवेज का था। रविवार को यूनाइटेड एयरलाइंस ने शिकागो में एक शख्स को घसीटते हुए प्लेन से उतार दिया गया था, ताकि एक क्रू मेंबर को एडजस्ट किया जा सके। इसकी वजह से यात्री के मुंह से खून तक निकलने लगा था। आइए जानते हैं![]()
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नागरिक उड्डयन महानिदेशालय के आंकड़ों के मुताबिक, पिछले साल भारत की 10 एयरलाइन कंपनियों ने कुल 9.98 करोड़ यात्रियों को सफर कराया है, जिनमें से 15,675 यात्रियों को या तो प्लेन में चढ़ने ही नहीं दिया या फिर चढ़ने के बाद उतार दिया। इसमें जेट एयरवेज ने 11,091 यात्रियों के साथ ऐसी हरकत की है।
डीजीसीए सिविल रिक्वायरमेंट, सेक्शन 3 सीरीज एम, पार्ट 4 के मुताबिक ये हैं नियम। किसी भी यात्री को प्लेन से उतारने से पहले उसे इसके लिए राजी करना चाहिए और फिर उसे उचित मुआवजा भी देना चाहिए। किसी यात्री को प्लेन में चढ़ने से रोकने पर भी उसे मुआवजा देना चाहिए। अगर कंपनी मुआवजा नहीं देती है तो उसे 1 घंटे के अंदर ही किसी दूसरे विमान ने यात्री के जाने का प्रबंध करना चाहिए।
अगर दूसरी फ्लाइट 24 घंटे के अंदर-अंदर उड़ान भरने वाली है, तो प्लेन से उतारे गए यात्री को एक तरफ के किराए का 200 फीसदी और 10,000 रुपए तक का फ्यूल चार्ज देना पड़ सकता है। अगर दूसरी फ्लाइट 24 घंटे के बाद उड़ान भरने वाली है तो प्लेन से उतारे गए यात्री को एक तरफ के किराए का 400 फीसदी और 20,000 रुपए तक का फ्यूल चार्ज देना पड़ सकता है। अगर यात्री दूसरी फ्लाइट से नहीं जाना चाहते है तो फिर उसे टिकट के मूल किराए का 400 फीसदी और 20,000 रुपए तक का फ्यूल चार्ज जरूर दिया जाना चाहिए।
डीजीसीए के नियमों के मुताबिक ऊपर बताई गई बातें सिर्फ देसी कंपनियों पर लागू होती हैं। अगर एयरलाइंस कंपनी विदेशी है और वह किसी यात्री को प्लेन में चढ़ने से रोकती है या फिर चढ़ने के बाद उतारती है तो वह कंपनी उस शख्स को अपने नियमों के मुताबिक मुआवजा देगी। हालांकि, कोई भी कंपनी किसी भी यात्री से अभद्रता नहीं कर सकती