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मास्को/ मदुरै/नई दिल्ली. रशियन पुलिस ने एक 17 साल की लड़की को अरेस्ट किया है। पुलिस के मुताबिक लड़की ब्लू व्हेल ऑनलाइन गेम की मास्टरमाइंड है, ये अपनी धमकियों और डर दिखाकर लोगों को अपनी जान लेने पर मजबूर कर देती थी। इस बीच, गूगल सर्च के ट्रेंड से मिले डाटा के मुताबिक इंटरनेट पर इस गेम को सर्च करने वाले दुनिया के टॉप 10 शहरों में 7 भारत के हैं। कोच्चि दुनिया में अव्वल है।– सूत्रों के मुताबिक रूस की इंटीरियर मिनिस्ट्री के कर्नल इरिना वॉक ने कहा, “आरोपी लड़की गेम बीच में छोड़ने वालों को जान से मारने की धमकी और उनके परिवार की हत्या करने जैसी धमकियां देकर मासूमों को खुदकुशी करने के लिए इंस्पायर करती थी।”
– पुलिस ने जब लड़की के कमरे की तलाशी ली तो चौंक गई। उसके कमरे से हॉरर किताबें, डरावनी पेटिंग, सुसाइड के लिए इंस्पायर करने वाले फोटो, डीवीडी और विवादित नॉवेल मिले हैं। पुलिस ने छापेमारी के दौरान आरोपी लड़की के कमरे की फुटेज भी जारी की है। लड़की के कमरे से रशियन साइकॉलजी स्टूडेंट फिलिप ब्यूडेइकिन के फोटो और किताबें भी मिली। बता दें कि ब्यूडेइकिन को उसकी विवादित चुनौतियों की वजह से 3 साल की जेल की सजा सुनाई गई थी।ब्लू व्हेल गेम नहीं, खतरा है: मदुरै के लड़के ने सुसाइड नोट में लिखा– डेथ गेम ‘ब्लू व्हेल’ ने एक और यूथ की जान ले ली है। मामला तमिलनाडु का है, जहां मदुरै के 19 साल के स्टूडेंट विगेश ने फांसी लगा ली। इसके अलावा पुड्डुचेरी सेंट्रल यूनिवर्सिटी के शशिकुमार बोरा (23) नाम के एमबीए स्टूडेंट के भी सुसाइड करने का मामला सामने आया है। पुलिस ने शुरुआती जांच ब्लू व्हेल को ही इसकी वजह बताया है।– इन दो मौतों के साथ ही भारत में इस गेम से अब तक हुई मौतों का आंकड़ा बढ़कर 7 हो गया है। विगेश बीकॉम सेकेंड ईयर का स्टूडेंट था। उसके हाथ पर ब्लू व्हेल की इमेज बनी थी। उसने अपने सुसाइड नोट में लिखा है, “ब्लू व्हेल गेम नहीं बल्कि खतरा है। एक बार इसमें घुसने के बाद निकल नहीं सकते।”भारत में गेम का लिंक अभी भी एक्टिव, पहचान के लिए बनेगी कमेटी– इस बीच, ब्लू व्हेल गेम पर बैन के बावजूद इसके लिंक एक्टिव होने को सरकार ने गंभीरता से लिया है। इन्फॉर्मेशन टेक्नोलॉजी मिनिस्टर रविशंकर प्रसाद ने जांच के आदेश दिए हैं कि रोक के बावजूद यह गेम कैसे एक्टिव है।
– प्रसाद ने कहा कि साइबर हमला और ऐसे लिंक आने वाले समय में बड़ी चुनौती बनने वाले हैं। इसलिए सभी इंडस्ट्री को साइबर सुरक्षा अधिकारी अप्वॉइंट करने को कहा है। इसके लिंक की पहचान के लिए कमेटी बनाने का भी फैसला लिया गया है।ब्लू व्हेल खोजने में टॉप 10 शहरों में 7 भारत के
– सरकार द्वारा रोक लगाने के बावजूद ब्लू व्हेल गेम काफी सर्च किया जा रहा है। 30 अगस्त तक गूगल सर्च के ट्रेंड से मिले डाटा के मुताबिक कोच्चि में नेट पर यह गेम दुनिया में सबसे ज्यादा सर्च किया गया। सालभर में कोच्चि में इसकी 100 गुना ज्यादा बार सर्चिंग हुई। दुनिया के टॉप 10 शहरों में 7 भारत के हैं। तिरुवनंतपुरम दूसरे और कोलकाता तीसरे पर है। बेंगलुरू छठे पर है। टॉप 10 में अन्य भारतीय शहर गुवाहाटी, मुंबई और दिल्ली भी हैं। भारत के अलावा अन्य देशों के तीन शहर सैन-ऐंटोनियो, नैरोबी और पेरिस शामिल हैं। वहीं सर्च करने वाले टॉप देशों में भारत चौथे नंबर पर है।फेसबुक पर परिजनों की चिंता: हमारे घरों में घुस रहा है यह गेम, अलर्ट रहना ही होगा
– हाल में नई दिल्ली में रहने वाली प्रियंका बंसल ने अपनी सात साल की भतीजी का वाकया फेसबुक पर शेयर किया है। प्रियंका के मुताबिक ‘एक दिन जब वो स्कूल से आई तो उसने अपनी मां से ‘ब्लू’ की स्पेलिंग पूछी। थोड़ी देर बाद ‘व्हेल’ की। मां को लगा उसने ऐसे ही पूछ लिया होगा। रात में उसने मुझसे पूछा, ‘बुआ ये ब्लू व्हेल गेम क्या है?’ ये सुनकर मैं दंग थी। मैंने उससे पूछा कि क्या वो व्हेल के बारे में बात कर रही है? उसने कहा, व्हेल नहीं ब्लू व्हेल गेम। मैंने डराने के लिए कहा कि गेम के बारे में क्यों पूछ रही हो? ये गेम तो भूत का है। इतना सुनते ही उसने रोना शुरू कर दिया। उसने अपने पापा के मोबाइल में गेम डाउनलोड किया था और स्कूल बस के दो ‘भइया’ ने ये गेम डाउनलोड करने को कहा था। हमें लगा कि ये सलाह देने वाले बड़ी क्लास के स्टूडेंट होंगे, लेकिन भतीजी ने बताया ‘वो बच्चे पांचवी में पढ़ते हैं। गेम को खोलने पर बड़ी सी व्हेल दिखी। उसकी बॉडी में कुछ मास्क जैसा था तो मैं डर गई।’ हालांकि बच्ची बहुत छोटी थी इसलिए शायद इंस्ट्रक्शन समझ नहीं पाई और गेम में आगे की स्टेज पर नहीं जा सकी। अगर वो वाकई गेम शुरू कर आगे बढ़ जाती तो… यह गेम धीरे-धीरे हमारे घरों में घुस रहा है, हमें अलर्ट रहना ही होगा।’डर के साए में जी रहीं माएं
– प्रियंका अकेली नहीं हैं। बहुत सी ऐसी माएं हैं जो इस डर के साए में जी रही हैं। दिल्ली की ही मंजू के दो बच्चे हैं। बेटी 9 साल की है और बेटा 17 का। उनका कहना है उनकी बच्ची ने तो इस गेम का जिक्र अभी तक नहीं किया है, पर बेटा इस बारे में जानता है। उसके मोबाइल में पासवर्ड है इसलिए वो ये नहीं जानतीं कि वो क्या देखता है और मोबाइल में क्या-क्या है। उनके मुताबिक छोटे बच्चे को रोक सकते हैं, पर 17 साल के किशोर को कैसे समझाएं? मोबाइल देना भी मजबूरी है। उन्होंने बेटे से कह दिया है कि अगर वो कोई ऐसा गेम डाउनलोड करे तो बता जरूर दे। श्वेता की दो बेटियां हैं। एक दस साल की है और छोटी पांच की। बड़ी बेटी ने स्कूल की वैन में इस गेम के बारे मे सुना। उसने ही अपनी मां को बताया कि ये गेम कैसे खेलते हैं। और आखिर में क्या होता है। शीतल कहती हैं कि पांच साल के बच्चे को ये समझा पाना बहुत मुश्किल है कि सुसाइड क्या है।