ब्रिटेन द्वारा कोविशील्ड को मंजूरी ना देना भेदभावपूर्ण : भारत
आधिकारिक सूत्रों ने बताया कि ब्रिटेन ने अगर चार अक्टूबर तक भारत की चिंताओं का निराकरण नहीं किया तो भारत भी ब्रिटेन से आने वाले यात्रियों के खिलाफ इसी तरह की जवाबी कार्रवाई करेगा।
(एनएलएन मीडिया – न्यूज़ लाइव नाऊ): ब्रिटिश कम्पनी के लाइसेंस से भारत में निर्मित कोविशील्ड वैक्सीन को लेकर भारत ने कड़ी चेतवनी दी है। विदेश सचिव हर्षवर्धन श्रृंगला ने मंगलवार को चेतावनी दी कि कोरोना वैक्सीन प्रमाणन से जुड़े नए यात्रा नियमों पर ब्रिटेन ने अगर भारत की चिंताओं को दूर नहीं किया तो भारत को जवाबी कदम उठाने का अधिकार है। उन्होंने ब्रिटेन की इस नीति को भेदभावपूर्ण करार दिया।संयुक्त राष्ट्र महासभा के उच्चस्तरीय 76वें सत्र के लिए न्यूयार्क में मौजूद विदेश मंत्री एस. जयशंकर और ब्रिटेन की नव-नियुक्त विदेश मंत्री एलिजाबेथ ट्रस के बीच मुलाकात के कुछ घंटों बाद श्रृंगला ने उक्त टिप्पणी की।
इस मुलाकात के बाद जयशंकर ने ट्वीट किया, ‘ब्रिटेन की नई विदेश मंत्री ट्रस से मिलकर बहुत खुशी हुई। हमने 2030 के रोडमैप की प्रगति पर चर्चा की। मैंने व्यापार के मामले में उनके योगदान को सराहा। अफगानिस्तान और हिंद-प्रशांत में हालिया घटनाक्रम पर चर्चा की। मैंने साझा हित में क्वारंटाइन मामले के शीघ्र समाधान का अनुरोध किया।’
आधिकारिक सूत्रों ने बताया कि ब्रिटेन ने अगर चार अक्टूबर तक भारत की चिंताओं का निराकरण नहीं किया तो भारत भी ब्रिटेन से आने वाले यात्रियों के खिलाफ इसी तरह की जवाबी कार्रवाई करेगा। ब्रिटेन के कोरोना से जुड़े नए यात्रा नियम चार अक्टूबर से ही प्रभावी होने हैं। इसके तहत सीरम इंस्टीट्यूट आफ इंडिया द्वारा उत्पादित कोविशील्ड वैक्सीन की दोनों डोज लगवा चुके भारतीय यात्रियों को वैक्सीन नहीं लगवाने वाले यात्रियों के समान माना जाएगा और उन्हें 10 दिनों के आइसोलेशन में जाना होगा।
मीडिया से बातचीत में श्रृंगला ने कहा, उन्हें बताया गया है कि ब्रिटेन द्वारा कुछ आश्वासन दिए गए हैं और यह मुद्दा सुलझ जाएगा। उन्होंने कहा, ‘हमने भी कुछ साझीदार देशों को वैक्सीन प्रमाणपत्रों की आपसी मान्यता का विकल्प दिया है। ये पारस्परिक कदम हैं। हमें देखना होगा कि यह कैसे जाता है। अगर हम संतुष्ट नहीं हुए तो हमारे पास जवाबी कदम उठाने का अधिकार है।’
विदेश सचिव ने कहा, ‘बुनियादी मुद्दा कोविशील्ड वैक्सीन का है जो ब्रिटिश कंपनी का लाइसेंसी उत्पाद है। इसका उत्पादन भारत में किया गया है और ब्रिटिश सरकार के अनुरोध पर हमने इसकी 50 लाख डोज की ब्रिटेन को आपूर्ति की है। हमें मालूम है कि राष्ट्रीय स्वास्थ्य प्रणाली के तहत इसका इस्तेमाल किया जा रहा है, इसीलिए कोविशील्ड को मान्यता नहीं देना भेदभावपूर्ण नीति है और ब्रिटेन जाने वाले हमारे नागरिकों पर इसका असर पड़ता है।’ अब ब्रिटेन का इस मामले में क फैसला होगा यह भविष्य बताएगा।