वरिष्ठ पत्रकार गौरी लंकेश की बंगलुरू में गोली मारकर हत्या कर दी गई. बताया जा रहा है कि चार अज्ञात हमलवरों ने राज राजेश्वरी इलाके में स्थित गौरी के घर में घुसकर उन पर काफी करीब से फायरिंग की, जिससे मौके पर ही उनकी मौत हो गई.
गौरी लंकेश साप्ताहिक मैग्जीन ‘लंकेश पत्रिके’ की संपादक थीं. इसके साथ ही वो अखबारों में कॉलम भी लिखती थीं. टीवी न्यूज चैनल डिबेट्स में भी वो एक्टिविस्ट के तौर पर शामिल होती थीं. लंकेश के दक्षिणपंथी संगठनों से वैचारिक मतभेद थे.
सीबीआई जांच की मांग
लंकेश के भाई इंद्रजीत ने इंडिया टुडे से बातचीत में कहा कि इस केस की जांच सीबीआई को हैंडओवर की जानी चाहिए.
कलबुर्गी की हुई थी हत्या
इससे पहले वर्ष 2015 में कर्नाटक के धारवाड़ में इसी तरह के एक अन्य मामले में साहित्यकार एमएम कलबुर्गी की उनके घर पर ही हत्या कर दी गई थी. इस केस में दो लोगों पर कलबुर्गी की हत्या करने का आरोप लगा था.
गोविंद पनसारे
2015 में ही सामाजिक कार्यकर्ता गोविंद पनसारे की भी गोली मारकर हत्या कर दी गई थी. उनकी पत्नी को भी हमलावरों ने निशाना बनाया था. इस मामले में राइट विंग से जुड़े कुछ लोगों को गिरफ्तार किया गया था.
वहीं इससे 2 साल पहले 2013 में पुणे में नरेंद्र दाभोलकर को भी गोलियों से छलनी किया गया था. अंधविश्वास और कुप्रथाओं के खिलाफ आवाज उठाने वाले डॉ. दाभोलकर सनातन संस्था और अन्य दक्षिणपंथियों के निशाने पर रहते थे.