(एनएलएन मीडिया – न्यूज़ लाइव नाऊ) : इन दिनों बिहार की राजनीति में काफी उथल-पुथल मची हुई है। राष्ट्रीय जनता दल (आरजेडी) के अध्यक्ष लालू प्रसाद की पार्टी आज सूबे की सियासत के नेपथ्य में जाती दिख रही है। हमेशा चर्चा में रहने वाले लालू प्रसाद के जेल जाने के बाद उनके उत्तराधिकारी के रूप में उनके छोटे बेटे तेजस्वी प्रसाद यादव को देखा जा रहा था, लेकिन लोकसभा चुनाव में पार्टी की करारी हार के बाद वह बिहार की राजनीति से गायब हो गए हैं। अब आरजेडी के कार्यकर्ता और नेता भी संशय की स्थिति में हैं। कई वरिष्ठ नेता अब तेजस्वी को नसीहत दे रहे हैं। कुछ दिन पहले तक तेजस्वी को संघर्ष करने की नसीहत देने वाले आरजेडी के उपाध्यक्ष शिवानंद तिवारी से जब इस संबंध में पूछा गया तो उन्होंने निराशा जताते हुए कहा, ‘मेरी कौन सुन रहा है। तेजस्वी को आरजेडी की बैठकों में रहना चाहिए था। अब वह कहां हैं, मुझे नहीं पता।’ आम तौर पर ट्विटर पर सक्रिय रहने वाले तेजस्वी ने पिछले 6 दिन में सिर्फ 6 ट्वीट किए हैं। इनमें भी सिर्फ आरक्षण पर मोहन भागवत के बयान को लेकर तेजस्वी ने सियासी प्रतिक्रिया दी है। मोहन भागवत जी के बयान के बाद आपको यह साफ होना चाहिए कि क्यों हम आपको “संविधान बचाओ” और “बेरोज़गारी हटाओ,आरक्षण बढ़ाओ” के नारों के साथ आगाह कर रहे थे। ‘सौहार्दपूर्ण माहौल’ की नौटंकी में ये आपका आरक्षण छीन लेने की योजना में काफी आगे बढ़ चुके है।जागो,जगाओ और अधिकार बचाने की मशाल जलाओ। तेजस्वी ने ट्वीट में बीजेपी और आरएसएस पर निशाना साधते हुए लिखा, ‘मोहन भागवतजी के बयान के बाद आपको यह साफ होना चाहिए कि क्यों हम आपको संविधान बचाओ और बेरोजगारी हटाओ,आरक्षण बढ़ाओ के नारों के साथ आगाह कर रहे थे। सौहार्दपूर्ण माहौल की नौटंकी में ये आपका आरक्षण छीन लेने की योजना में काफी आगे बढ़ चुके है। जागो,जगाओ और अधिकार बचाने की मशाल जलाओ। आरक्षण को लेकर आरएसएस-बीजेपी की मंशा ठीक नहीं है। बहस इस बात पर करिए कि इतने वर्षों बाद भी केंद्रीय नौकरियों में आरक्षित वर्गों के 80% पद खाली क्यों हैं? उनका प्रतिनिधित्व सांकेतिक भी नहीं है। केंद्र में एक भी सचिव OBC/EBC क्यों नहीं है? कोई कुलपति SC/ST/OBC क्यों नहीं है? करिए बहस। शुक्रवार को आरजेडी के विधायक दल की बैठक में तेजस्वी यादव के नहीं आने के बाद पार्टी ने इस बैठक को शनिवार तक के लिए बढ़ा दिया, क्योंकि तेजस्वी ने कहा था कि वह बैठक में आएंगे। शनिवार को आरजेडी कार्यकर्ताओं में उत्साह भी था, लेकिन तेजस्वी नहीं आए और बैठक को रद्द करना पड़ा। तेजस्वी के इस तरह से पार्टी को उपेक्षित करने से पार्टी के नेताओं में भी नाराजगी बढ़ने लगी है। आरजेडी के विधायक राहुल तिवारी से जब इस संबंध में पूछा गया तो उन्होंने कहा कि आरजेडी के नेता लालू प्रसाद और राबड़ी देवी हैं। करीब एक महीने तक चले विधानसभा के मॉनसून सत्र में भी विपक्ष के नेता तेजस्वी मात्र दो दिन शामिल हुए, मगर किसी चर्चा में उन्होंने हिस्सा नहीं लिया। इस दौरान विपक्ष चमकी बुखार, बाढ़-सूखा, कानून-व्यवस्था सहित कई मुद्दों पर सरकार पर निशाना साधता रहा। आरजेडी का सदस्यता अभियान भी बिना नेतृत्व के चल रहा है। आरजेडी के एक नेता ने नाम जाहिर न करने की शर्त पर दावा करते हुए कहा कि अगर आरजेडी के नेतृत्वकर्ता का पार्टी के प्रति यही उपेक्षापूर्ण रवैया रहा तो आरजेडी में टूट हो सकती है। आरजेडी के सूत्र भी बताते हैं कि पार्टी नेताओं और कार्यकर्ताओं में नाराजगी है, यही कारण है कि शिवानंद तिवारी जैसे नेता ने भी चुप्पी साध ली है। तिवारी भी मानते हैं कि अभी की जो स्थिति है उसमें महागठबंधन कमजोर हुआ है। हमारी पार्टी बिहार की सबसे बड़ी पार्टी है। उन्होंने हालांकि यह भी कहा कि हमारे नेता और कार्यकर्ता निराशा और हतोत्साह के दौर से जल्द ही उबर जाएंगे। सब ठीक हो जाएगा। शिवानंद ने कहा कि लालू प्रसाद होते तो पार्टी को इस दौर से गुजरना नहीं पड़ता। इधर, आरजेडी की इस स्थिति पर उनके विरोधी मजे ले रहे हैं। जेडीयू के प्रवक्ता संजय सिंह कहते हैं कि आरजेडी नेतृत्वविहीन हो चुका है। उन्होंने दावा किया कि जल्द ही पार्टी में टूट होना तय है। कुछ लोगों का कहना है कि जो हाल कांग्रेस का है, वही हाल आरजेडी का है। कांग्रेस का नेतृत्व जहां सोनिया गांधी संभाल रही हैं, वहीं तेजस्वी की अनुपस्थिति में आरजेडी का नेतृत्व पूर्व मुख्यमंत्री राबड़ी देवी कर रही हैं। आरजेडी के प्रवक्ता मृत्युंजय तिवारी हालांकि इसे सही नहीं मानते। उन्होंने कहा कि आरजेडी का नेतृत्व कहीं असफल नहीं हुआ है, समय का इंतजार कीजिए। उन्होंने ने ये भी कहा कि पार्टी के भीतर हालात सामान्य है ।