बिहार में यहां लगता है भूतों का सबसे बड़ा मेला, भूतों की होती है पिटाई !

इस मेले में लाखों लोग बुरी आत्माओं से छुटकारे के लिए पहुंचते हैं

(एनएलएन मीडिया – न्यूज़ लाइव नाऊ) : कार्तिक पूर्णिमा के मौके पर हरिहर क्षेत्र में दुनिया का सबसे बड़ा भूतों का मेला लगता है। इस भूत मेले में एक रात में हजारों-लाखों लोग बुरी आत्माओं और भूतों को अपने ऊपर से भगाने के लिए पहुंचते हैं। कार्तिक पूर्णिमा की रात से शुरू दिनभर चलने वाले इस विशेष मेले में दूर-दराज के लाखों लोग पहुंचते हैं और रातभर भूत भगाने का अनुष्‍ठान चलता रहता है, स्थानीय भाषा में इसे भूत खेली कहते है।कई किलोमीटर के क्षेत्र में फैले इस मेले में आपको दूर-दूर तक हर जगह एक से बढ़कर एक अनूठे भूत अनुष्ठान देखने को मिल जाएंगे। इस मेले में लाखों लोग बुरी आत्माओं से छुटकारे के लिए पहुंचते हैं। भूतों को पकड़ने और भगाने का दावा करने वाले ओझा भी इस मेले में बड़ी संख्या में आकर अपनी दुकान लगाते हैं।

यहां अजीबोगरीब दृश्य दिखता है। कहीं तो भूत भगाने के लिए महिलाओं को बालों से खींचा जाता है, तो कहीं छड़ी यानि स्थानीय भाषा में जिसे सन्टी कहते हैं, उनसे पिटाई की जाती है। भूतों के इस अजूबे मेले में आए ओझाओं के दावे भी आपको अजूबे लगेंगे। सबसे मजेदार बात ये होती है कि भूतों की भाषा सिर्फ ओझा और भगत समझते हैं। इस मेले के बारे बारे में मान्यता है कि यहीं गज और ग्राह का युद्ध हुआ था और गज को बचाने के लिए भगवान विष्णु आये थे, पर रात्रि से ही भूतखेली का तमाशा होने लगता है। इस तमाशे को देखने के लिए भीड़ जुटी रहती है।कथित भूतों को भगाने वाले ओझा जो स्थानीय बोली में भगतजी कहे जाते हैं, अपने मुंह से ऊटपटांग शब्द निकालते रहते हैं। ऐसे शब्द जिनका कोई अर्थ नहीं होता, जिन्हें कोई दूसरा नहीं समझ पाता। ओझाओं का कहना है कि उनके मुंह से निकले यही उटपटांग शब्द मंत्र हैं जो भूतों को भगाने में कारगर होते हैं। कोनहारा घाट पर वैशाली से पहुंचे भगत राजेश भगत और लक्ष्मी भगत ने बताया कि उन्हेंने अपने गुरु से भूतों को भगाने का गुर सीखा है। महुआ के कन्हौली पाता के मेहरचंद भगत और बेरई के शंकर भगत का भी यही कहना है।यह भी कम हैरानी की बात नहीं कि कथित रूप से भूतों से परेशान जितनी महिलाएं कार्तिक पूर्णिमा के मौके हाजीपुर के कोनहारा घाट पर पहुंचती हैं,  वे निम्न आय या निम्न मध्यम आय की श्रेणी के परिवारों से होती हैं जहाँ आज भी शिक्षा की घोर कमी है।आमतौर इन घरों की महिलाओं को अगर कोई भी शारीरिक या मानसिक बीमारी होती है तो शिक्षा की कमी और अंधविश्वास के कारण उस बीमारी को भूतों या बुरी आत्माओं का असर मानने लगती हैं। और फ़िर यहीं से भगतों का खेल शुरू हो जाता है।इस साल भी शुक्रवार को कार्तिक पूर्णिमा के अवसर पर हाजीपुर-सोनपुर में करीब 10 लाख श्रद्धालुओं ने गंगा और गंडक में डुबकी लगाई और हरिहरनाथ सहित विभिन्न मठ-मंदिरों में पूजा -अर्चना की। यहां गुरुवार की आधी रात से ही पवित्र स्नान शुरू हो गया है।इसी कोनहारा घाट पर अंधविश्वास की सदियों से चली आ रही परंपरा भी इस साल भी गंगा स्नान के दौरान खूब दिखी।

परंपरा का पालन ओझा और भगतों ने की और यहां खूब भूतखेली हुई। मांदर की थाप पर ग्रामीण इलाकों से आये भगत हाथ मे छड़ी लिए महिलाओं के शरीर पर प्रहार कर उनके ऊपर से कथित रूप से भूत उतारते दिखे।सबसे बड़ी उदासीनता ये दिखी कि इस तरह के अंधविश्वास और भूतखेली, जिसमें सरेआम नदी में स्नान कर रही महिला और लड़कियों की ओझा और भगत छड़ी से जमकर पिटाई करते हैं। इस दौरान वो चीखती रहती हैं। इस भूतखेली को लेकर प्रशासनिक स्तर पर इस बार भी किसी तरह की कोई पहल नहीं की गई थी। इस तरह के अंधविश्वास पर रोक लगाने के किये कोई प्रयास किया गया हो, एेसा नहीं दिखा। हाजीपुर के जमुनीलाल कॉलेज की प्राचार्या व मनोविज्ञान की प्रोफेसर डॉक्टर महजबीन खानम का कहना है कि यह पूरी तरह अंधविश्वास है। किशोर अवस्था मे किसी लड़की या लड़के के शरीर मे हार्मोनल चेंज आने से उनमें कुछ समस्याएं आती हैं। खासकर लड़कियों में। हिस्टीरिया आदि के लक्षण को भी ग्रामीण परिवेश में नासमझी में भूत वगैरह को प्रकोप समझ लिया जाता है जो पूरी तरह अंधविश्वास है। कभी-कभी ग्रामीण इलाकों में महिलाओं को लगता है कि परिवार के सदस्य उनपर ध्यान नहीं दे दे रहे हैं। वे अपने आपको अनसिक्योर समझने लगती हैं।एेसे में महिलाएं अटेंशन पिकिंग विहेवियर के कारण भी इस तरह की हरकत करने लगती हैं कि परिवार के अन्य सदस्य उनपर ध्यान देने लगते हैं। अगर कोई बीमारी है तो वह इलाज से ठीक हो सकता है न कि भूतखेली जैसे अंधविश्वास से।ग्रामीण इलाके के अनपढ़ या कम पढ़े-लिखे लोग भगतों के फेर में फंस कर उनकी कमाई का जरिया बन जाते हैं। ये ओझा और भगत कथित रूप से भूत उतारने के नाम पर पैसे लेते हैं। हैरानी की बात यह कि न केवल महिलाओं पर से कथित रूप से भूत उतारा जाता है बल्कि पुरुषों और बच्चों पर से भी भूत उतारने का नाटक चलता रहता है।

इतना ही नहीं, बिहार में शराबबंदी के पहले भूतखेली करने वाले भगत पैसे के साथ-साथ शराब की भी मांग करते थे। कार्तिक पूर्णिमा के मौके पर यहां के घाटों पर इस तरह का दृश्य आम है। आज के दिन ढंके-छुपे तरीके से भी भगत शराब की मांग करते हैं।माना जाता है कि इस स्थान पर हर तरह की मुक्ति हासिल हो जाती है। पूर्वी भारत में स्थापित अंधविश्वासों, भूत और बुरी आत्माओं से छुटकारा पाने के लिए ओझा और भूतों को मानने वाले और भूतों से परेशान लोग इस खास दिन का इंतजार करते हैं और यहां आकर अनुष्ठान करते हैं और उनके ऊपर से ओझा-भगत भूतों को भगाते हैं।

 

Leave A Reply

Your email address will not be published.