बजट 2020 में वित्त मंत्री ने कहा- लड़कियों की शादी की उम्र बढ़ाई जाने की होगी समीक्षा।
बजट में पोषण संबंधी कार्यक्रमों के लिए 35,600 करोड़ रुपये, जबकि महिलाओं से जुड़े विशिष्ट कार्यक्रमों के लिए 28,600 करोड़ रुपये आवंटित किए हैं।
(एनएलएन मीडिया – न्यूज़ लाइव नाऊ) : बजट 2020 में वित्त मंत्री निर्मला सीतरण ने महिलाओं के लिए इस बार भी बजट में कई महत्पूर्ण ऐलान किए हैं। वित्त मंत्री ने बताया कि सरकार लड़कियों की शादी की कानूनी उम्र को लेकर भी चर्चा कर रही है। इसकी समीक्षा के लिए एक टास्क फोर्स का गठन किया जाएगा जो 6 महीने में इस मुद्दे पर रिपोर्ट तैयार करेगी। वित्त मंत्री ने कहा कि 1978 में शारदा अधिनियम में संशोधन करते हुए महिलाओं की शादी की उम्र 15 से बढ़ाकर 18 वर्ष कर दी गई। उन्होंने कहा कि भारत जैसे-जैसे तरक्की कर रहा है, महिलाओं के शिक्षा और करियर के क्षेत्र में आगे बढ़ने के अवसर बन रहे हैं। महिला मातृत्व दर में कमी लाना और पोषण के स्तर में सुधार लाना जरूरी है। मातृत्व में प्रवेश करने वाली लड़की की आयु से जुड़े पूरे मामले को इस दृष्टि से देखने की आवश्यकता है। इसका मकसद पोषण को बढ़ावा देना भी है। बजट में पोषण संबंधी कार्यक्रमों के लिए 35,600 करोड़ रुपये, जबकि महिलाओं से जुड़े विशिष्ट कार्यक्रमों के लिए 28,600 करोड़ रुपये आवंटित किए हैं। वित्त मंत्री ने बजट भाषण में कहा कि ‘बेटी बचाओ, बेटी पढ़ाओ’ की सफलता उल्लेखनीय है। लड़कियों के स्कूल जाने का आंकड़ा लड़कों से ज्यादा है। प्रारंभिक स्तर पर यह अनुपात लड़कों के 89.28 फीसदी के मुकाबले 94.32 फीसदी है। वहीं माध्यमिक स्तर पर यह 78 फीसदी की तुलना में 81.32 है। उच्च माध्यमिक स्तर पर यह लड़कों के 57.54 प्रतिशत की तुलना में 59.70 प्रतिशत पर पहुंच गया है। वित्त मंत्री ने कहा कि 2017-18 में विश्व बैंक की रिपोर्ट के अनुसार महिला श्रमिकों की संख्या में खासी कमी आई थी। 2011-12 में यह कुल श्रमिकों की 33 फीसदी थी। अब यह घटकर 25.3 फीसदी रह गई। पहली बार स्वास्थ्य बजट में करीब 25 फीसदी की बढ़ोतरी पोषण से जुड़ीं योजनाओं पर की गई है। ये सबसे अहम है क्योंकि कुपोषण किसी आपातकाल से कम नहीं है। पिछले वित्तीय वर्ष में सरकार ने इसके लिए 29165 करोड़ रुपये का बजट रखा था जिसे बढ़ाकर अब 35,600 करोड़ रुपये किया है। ठीक इसी तरह से सोशल सर्विसेज के बजट में भी बढ़ोतरी हुई है। ये दोनों ही प्रयास काफी बेहतर साबित हो सकते हैं। हालांकि समूचे स्वास्थ्य बजट की बात करें तो इस बार मायूसी जरूर मिली है। आयुष्मान भारत योजना के लिए बजट में कोई बदलाव नहीं किया है। पिछली बार भी 6400 करोड़ रुपये तय किया है। जबकि जिस तरह से योजना का कवरेज बढ़ता जा रहा है। ऐसे में ये बजट काफी कम हो सकता है। – डॉ. गिरधर ज्ञानी, महानिदेशक,प्राइवेट हेल्थ केयर प्रोवाइडर्स एसोसिएशन