नई दिल्ली। आम आदमी पार्टी के 21 संसदीय सचिवों की सदस्यता पर मंडरा रहे खतरे के बीच आज चुनाव आयोग अहम सुनवाई करने जा रहा है। उधर केंद्र सरकार ने दिल्ली हाई कोर्ट में 21 संसदीय सचिवों की नियुक्ति का विरोध करते हुए कहा कि दिल्ली के लिए कानून में 21 संसदीय सचिवों की नियुक्ति का कोई प्रावधान ही नही है। एक संसदीय सचिव हो सकता है वो भी मुख्यमंत्री के पास, लेकिन 21 का कोई प्रावधान नही है।
चुनाव आयोग ने दिल्ली के उन 21 विधायकों को अपनी स्थिति स्पष्ट करने के लिए नोटिस भेजा था, जिन्हें मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने संसदीय सचिव के पद पर नियुक्त किया था। आयोग ने 14 जुलाई तक लाभ का पद के मामले में 21 विधायकों की सुनवाई का नोटिस भेजा था।
चुनाव आयोग ने स्पष्ट संवैधानिक प्रावधान न होते हुए भी संसदीय सचिव के रूप में नियुक्ति को लेकर 21 विधायकों से जवाब मांगा था। दिल्ली सरकार ने दिल्ली विधानसभा रिमूवल ऑफ डिस्क्वॉलिफिकेशन एक्ट- 1997 में संशोधन करने की कोशिश की थी। इस विधेयक का मकसद संसदीय सचिव के पद को लाभ के पद से छूट दिलाना था, जिसे राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी नामंजूर कर दिया था।
इस मामले में चुनाव आयोग ने दिल्ली सरकार के मुख्य सचिव से भी 11 सवालों की जवाब मांगे थे, जिसके जवाब सरकार की ओर से दाखिल किए जा चुके हैं। चुनाव आयोग के आशंकित फैसले के खिलाफ दिल्ली सरकार पहले ही सुप्रीम कोर्ट जाने की बात कर चुकी है।