पत्थरबाजों के लिए फारूक अब्दुल्ला समेत कश्मीरी नेता बहा रहें आंसू !
जम्मू-कश्मीर में जब सुरक्षाबलों के साथ मुठभेड़ में आतंकी मारे जाते हैं तो कश्मीर के नेता बयान देने से बचते हैं। पत्थरबाज जब सुरक्षाबलों पर पत्थर बरसाते हैं तो कश्मीर के नेता चुप हो जाते हैं
(एनएलएन मीडिया – न्यूज़ लाइव नाऊ) : जम्मू-कश्मीर में जब सुरक्षाबलों के साथ मुठभेड़ में आतंकी मारे जाते हैं तो कश्मीर के नेता बयान देने से बचते हैं। पत्थरबाज जब सुरक्षाबलों पर पत्थर बरसाते हैं तो कश्मीर के नेता चुप हो जाते हैं। वो कोई बयान नहीं देते हैं। सुरक्षाबलों के जवानों के शहादत पर उनके मुंह से एक शब्द बाहर नहीं आता है। लेकिन मुठभेड़ वाली जगह पर जब पत्थरबाज आतंकियों की मदद करते है और सैन्य कार्रवाई में जब वो मारे जाते हैं तो कश्मीर के नेताओं को पत्थरबाजों का मानवाधिकार याद आता है। वो बयान देना शुरू कर देते हैं कि केंद्र सरकार घाटी में जम्हुरियत, कश्मीरियत और इंसानियत में भरोसा नहीं करती है। हाल ही में पुलवामा में आतंकियों के साथ मुठभेड़ में तीन दहशतगर्द और सात पत्थरबाज मारे गए थे। आतंकियों के खिलाफ अभियान में सेना का एक जवान भी शहीद हो गया था। इन सबके बीच नेशनल कॉन्फ्रेंस के नेता फारूक अब्दुल्ला का शर्मनाक बयान सामने आया है। उन्होंने कहा कि पुलवामा में जब सेना से जुड़े लोग कार्रवाई कर रहे थे तो उस वक्त मौजूद लोगों की भीड़ पर फायरिंग नहीं करनी चाहिए थी। सेना के पैलेट गन या गोली चलाने की जगह पानी की बौछार या आंसू गैस के गोले छोड़ना चाहिए था। जो लोग मरे वो वापस नहीं आ सकते हैं। इसके साथ ही वो कहते हैं कि उन्हें उम्मीद है कि भविष्य में सेना और पुलिस इस तरह के अभियानों को अंजाम नहीं देगी। इन सबके बीच एक ऐसी तस्वीर आई है जो ये बताने के लिए पर्याप्त है कि कश्मीरी नेताओं को इस तरह की तस्वीरों को देखना चाहिए। उन्हें फैसला करना चाहिए कि खून के रंग में फर्क नहीं होता है। आतंकियों और पत्थरबाजों के मारे जाने पर उन्हें लोकतंत्र खतरे में नजर आता है। लेकिन सेना या पुलिस के जवान जब आत्मरक्षा में गोली चलाते हैं तो उनकी नजर में कश्मीरियों के मानवाधिकार पर हमला हो जाता है।