पंजशीर में पाकिस्तान ने किया ड्रोन अटैक- अमरुल्ला सालेह भागे ताजिकिस्तान, अहमद मसूद भी हो सकते हैं वहीं ।

पाकिस्तान के CH-4 ड्रोन ने पंजशीर में एक गाड़ी पर दो मिसाइल दागीं। इसमें रेजिस्टेंस के प्रवक्ता फहीम दश्ती और पांच अन्य लड़ाकों की मौत हो गई।

(एनएलएन मीडिया – न्यूज़ लाइव नाऊ): पाकिस्तान के पंजशीर में घुसने के बाद तालिबान का विरोधी पंजशीर के लड़ाकों के समूह ने हार माँ ली है। इसके साथ ही पूरे अफगानिस्तान पर तालिबान का कब्जा हो गया है। रविवार को तालिबान की मदद करने के लिए पाकिस्तानी पायलट्स ने रेजिस्टेंस फोर्सेज के ठिकानों पर ड्रोन से हवाई हमले किए। पंजशीर में रजिस्टेंस के प्रमुख नेता और देश के पूर्व उप-राष्ट्रपति अमरुल्ला सालेह जिस घर में ठहरे थे, उस पर भी हमला हुआ। इसके बाद सालेह ताजिकिस्तान भाग गए। कुछ मीडिया रिपोर्ट में नॉर्दर्न अलायंस के चीफ अहमद मसूद के भी ताजिकिस्तान में पनाह लेने की बात कही जा रही है। हालांकि, उनके समर्थकों का दावा है कि मसूद पंजशीर में ही सुरक्षित ठिकाने पर हैं।
पाकिस्तान के CH-4 ड्रोन ने पंजशीर में एक गाड़ी पर दो मिसाइल दागीं। इसमें रेजिस्टेंस के प्रवक्ता फहीम दश्ती और पांच अन्य लड़ाकों की मौत हो गई। दश्ती पेशे से पत्रकार थे और 15 अगस्त तक काबुल डेली के संपादक भी थे। अहमद मसूद के करीबी और पंजशीर बलों के प्रमुख सालेह मोहम्मद रेगिस्तानी भी रविवार के हमलों में मारे गए।
अफगानिस्तान पर कब्जा करने की जंग में पाकिस्तान हर कदम पर तालिबान का साथ देता आया है। दरअसल, तालिबान को पाकिस्तान की खुफिया एजेंसी ISI ने ही बनाया था। बाद में भी ISI ने तालिबान को पैसा, ट्रेनिंग और हथियार देना जारी रखा। हक्कानी नेटवर्क से भी ISI के गहरे रिश्ते हैं, जो तालिबान के लिए काम करता है।
पाकिस्तान के बॉर्डर वाले इलाकों में खास तौर से क्वेटा शहर में, तालिबान लड़ाकों और उनके परिवारों को पनाह दी। तालिबान के घायल लड़ाकों का पेशावर और कराची के अस्पतालों में इलाज तक कराया। हक्कानियों के लिए पाकिस्तान में रियल एस्टेट, तस्करी और अन्य बिजनेस को चलाने का मौका दिया जिससे उसकी वार मशीन चलती रहे।
तालिबान का पूरी दुनिया में कोई करीबी दोस्त है तो वह पाकिस्तान की खुफिया एजेंसी ISI है। 1996-2001 के तालिबान शासन को संयुक्त अरब अमीरात और सउदी अरब के अलावा पाकिस्तान ने ही मान्यता दी थी। फरवरी 2020 में अमेरिका और तालिबान के बीच समझौते के बाद फौजों की वापसी का कार्यक्रम तय हुआ। तब तालिबान नेताओं ने ISI की मदद से खुद को रीग्रुप किया।
अफगानिस्तान में तालिबान की जो नई सरकार बनने वाली है, उसमें ISI से जुड़े हक्कानी नेटवर्क के लोग भी शामिल होंगे। इसमें प्रमुख नाम मुजाहिदीन कमांडर जलालुद्दीन हक्कानी के बेटे सिराजुद्दीन हक्कानी का है। वो अपने पिता के बनाए हक्कानी नेटवर्क को चलाता है। हक्कानी नेटवर्क और तालिबान के बीच सत्ता को लेकर जंग भी जारी है। दो दिन पहले खबर आई थी कि दोनों गुटों के बीच फायरिंग में तालिबान का को-फाउंडर मुल्ला बरादर घायल हो गया है। हालांकि इसकी पुष्टि नहीं हो पाई थी। पंजशीर में तालिबान का कब्जा अब अफगानिस्तान को पूरी तरह तालिबानी नियंत्रण की ओर ले गया है।

Leave A Reply

Your email address will not be published.