नेताजी सुभाष चंद्र बोस को पुण्यतिथि पर नमन, आज़ादी के महानायक की गुमनाम मौत!

(एनएलएन मीडिया – न्यूज़ लाइव नाऊ) :नेताजी सुभाष की मौत आज भी रहस्य बनी हुई है। इस रहस्य से पर्दा उठाने के लिए अटल बिहारी बाजपेयी की सरकार ने मुखर्जी आयोग का गठन किया था। उसी मुखर्जी आयोग ने विमान दुर्घटना में नेताजी की मौत की थ्योरी को पूरी तरह ठुकरा दिया था। यह एक सदस्यीय बोर्ड था जिसे १९९९ में गठित गया। इसे १९४५ में नेताजी सुभाष चन्द्र बोस की रहस्यमय मृत्यु जी जाँच करने के लिये गठित किया गया था। आयोग ने बताया था कि … ताईवान ने कहा-18 अगस्त, 1945 को कोई विमान दुर्घटना नहीं हुई। साथ ही आयोग ने जापान के रेनकोजी मंदिर में रखी कथित नेताजी की अस्थियों को भी उनकी अस्थियां मानने से इनकार कर दिया था। आयोग न आगे स्पष्ट करते हुए जानकारी दी थी कि नेताजी अब जीवित नहीं हैं, लेकिन उनकी मौत विमान दुर्घटना में बिल्कुल भी नही हुई थी और गुमनामी बाबा को नेताजी मानने के किसी भी मिथक को उसने अनुचित माना था।आयोग ने वर्षों तक नेताजी सुभाष पर अन्वेषण के बाद जब 2006 में अपनी रिपोर्ट कांग्रेसनीत केंद्र सरकार के सामने रखा, तब अपने पूर्वाग्रहों से ग्रसित उक्त सरकार ने इस रिपोर्ट को ही खारिज कर दिया।आज़ाद भारत के पहले प्रधानमंत्री जवाहर लाल नेहरू और उनके नेतृत्व वाली पार्टी कांग्रेस पर लंबे समय तक ये आरोप लगते रहे कि नेताजी सुभाष को लेकर वह द्वेषभाव से काम करती रही है। इसलिए उसने नेताजी की मौत के रहस्य से पर्दा उठाने के लिए कभी भी कुछ भी सार्थक काम नहीं किया। आखिरकार मोदी सरकार ने भी नेताजी सुभाष से जुड़ी तमाम सरकारी फाइलों को डिनोटिफाइड किया लेकिन कांग्रेस की सरकारों ने कभी नेताजी को महत्व नहीं दिया।नेताजी सुभाष की पुण्यतिथि घोषित करने को लेकर तमाम संगठन आज भी मांग कर रहे हैं। लेकिन पुण्यतिथि घोषित करना इतना आसान भी नही है। क्योंकि पुण्यतिथि घोषित करने के लिए सबसे पहले नेताजी की मृत्यु को प्रमाणित करना होगा। अब इतने वर्षों बाद ये साबित करना कि नेताजी की मौत कब, कैसे और कहां हुई थी, यह करीब करीब असंभव सा काम बन चुका है। हां आज़ादी के बाद से देश की सत्ता पर काबिज रही कांग्रेस ने यदि जरा भी इक्षा शक्ति दिखाई होती तो आज आज़ादी के इस महानायक की पुण्यतिथि घोषित हो चुकी होती।

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