धौलपुर : धारा 144 लागू, गुर्जर प्रदर्शनकारियों ने जला डाले पुलिस वाहन, हवा में चलाई गोलियां
पुलिस के रोका तो वह हिंसा पर उतर आए और पथराव शुरू कर दिया।
(एनएलएन मीडिया – न्यूज़ लाइव नाऊ) : पांच प्रतिशत आरक्षण मांग रहे गुर्जरों का आंदोलन रविवार को हिंसक हो गया। धौलपुर में महापंचायत के बाद गुर्जरों ने एनएच 3 जाम कर दिया। पुलिस के रोका तो वह हिंसा पर उतर आए और पथराव शुरू कर दिया। गुर्जरों ने पुलिस की गाड़ियां फूंक दीं और हवाई फायरिंग की। भीड़ को हटाने के लिए पुलिस को भी हवाई फायरिंग करनी पड़ी। इस दौरान 6 पुलिसकर्मी घायल हो गए।राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने कहा कि ट्रेनों की पटरियों पर बैठना ठीक नहीं। आंदोलन शांतिपूर्वक ढंग से चलाना चाहिए, जबकि धौलपुर में असामाजिक तत्व इसमें शामिल हो गए।आंदोलन के तीसरे दिन रविवार को आंदोलनकारियों ने नेशनल हाईवे 148 डी को बूंदी, भीलवाड़ा, गुलाबपुरा जाम कर दिया। सोमवार को प्रदर्शनकारी सिकंदरा में हाइवे पर जाम लगा सकते हैं। सवाई माधोपुर के मलारना डूंगर में रेल पटरियों पर आंदोलनकारी बैठे हुए हैं। शनिवार को सरकार की तरफ से पर्यटन मंत्री विश्वेंद्र सिंह व कोऑपरेटिव रजिस्ट्रार नीरज के पवन गुर्जरों को मनाने मलारना ट्रैक पहुंचे, लेकिन वार्ता विफल हो गई। गुर्जर आंदोलन के कारण कई ट्रेनें रद्द की गईं तो कुछ को रूट बदला गया। गुर्जर आरक्षण सघर्ष समिति जिलाध्यक्ष राधाकृष्ण पोसवाल ने बताया कि सोमवार से जिले में गुर्जर समाज दूध सप्लाई बंद करेगा। सवाईमाधोपुर के मलारना में दिल्ली-मुंबई रेल ट्रैक के अलावा करौली-हिंडौन हाईवे रविवार को भी जाम रहा। उदयपुरवाटी में कोटपूतली-जयपुर स्टेट हाईवे पर जाम रविवार को खोल दिया गया। यहां गुर्जरों ने शनिवार को जाम लगाया था। मलारना में दिल्ली-मुंबई रेल ट्रैक पर रविवार को बड़ी संख्या में महिलाएं पहुंचीं। गुर्जर नेता किरोड़ीसिंह बैसला ने रविवार को दोहराया कि सरकार से बात रेलवे ट्रैक पर ही होगी। इससे पहले उन्होंने कहा कि सरकार बिना मसौदे के वार्ता के लिए आई थी। जब तक 5 प्रतिशत आरक्षण, क्रीमीलेयर की सीमा 8 लाख रु. करने व पिछली भर्तियों का बैकलॉग से भरी जाने की मांग पूरी नहीं होती तब तक आंदोलन जारी रहेगा। पर्यटन मंत्री विश्वेंद्र सिंह ने जल्द समाधान की बात कही।गुर्जर समाज की मांग है कि सरकार सभी प्रक्रिया पूरी करके पांच प्रतिशत आरक्षण बैकलॉग के साथ दे। इससे पहले 24 सितंबर 2015 को विधानसभा में एसबीसी विधेयक पारित हुआ था। राज्य सरकार ने 16 अक्टूबर 2015 को नोटिफिकेशन जारी करते हुए इसे लागू किया। ये 14 महीने चला और 9 दिसंबर 2016 को हाईकोर्ट ने खत्म किया। अब सुप्रीम कोर्ट में मामला चल रहा है।