देश की आपराधिक न्याय प्रणाली चार साल में हो जाएगी डिजिटल, – अदालतें, पुलिस और जेल जुड़े होंगे एक प्लेटफार्म से ।

क्रिमिनल जस्टिस सिस्टम को डिजिटल बनाने की योजना लंबे समय से चल रही है।

(एनएलएन मीडिया – न्यूज़ लाइव नाऊ): देश की आपराधिक न्याय प्रणाली को अगले चार वर्षों में पूरी तरह से डिजिटल कर दिया जाएगा। देशभर की अदालतें, पुलिस, अभियोजक, फोरेंसिक लैब और जेल को क्लाउड प्लेटफार्म पर डिजिटल रूप से जोड़ने के लिए गृह मंत्रालय ने 3,375 करोड़ रुपये जारी कर दिए। इसे ‘वन डाटा, वन इंट्री’ का नाम देते हुए गृह मंत्रालय के एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा कि किसी भी एक जगह पर अपलोड किया गया डाटा सभी जगहों पर समान रूप से उपलब्ध हो जाएगा।
क्रिमिनल जस्टिस सिस्टम को डिजिटल बनाने की योजना लंबे समय से चल रही है। इसके तहत पुलिस रिकार्ड को डिजिटल करने के लिए क्राइम एंड क्रिमिनल ट्रैकिंग एंड नेटवर्क सिस्टम (सीसीटीएनएस) तैयार किया जा रहा है। वहीं अदालत के लिए ई-कोर्ट, फोरेंसिक लैब के लिए ई-फोरेंसिक, अभियोजन के लिए ई-प्रोसिक्यूशन और जेल के लिए ई-प्रिजन बनाया जा रहा है। पूरी योजना को इंटर-आपरेवल क्रिमिनल जस्टिस सिस्टम नाम दिया गया है। गृह मंत्रालय के वरिष्ठ अधिकारी ने कहा कि इस योजना के दूसरे चरण की शुरुआत अगले वित्त वर्ष से हो रही है, जिसे 2025-26 तक पूरा किया जाएगा।
दूसरे चरण के तहत पूरे देश में क्लाउड पर आधारित इन्फ्रास्ट्रक्चर के सहारे आपराधिक न्याय प्रणाली के सभी पांचों हिस्सों को एक साथ जोड़ दिया जाएगा। इससे किसी एक जगह अपलोड किया गया डाटा एक साथ सभी प्लेटफार्म पर उपलब्ध हो जाएगा। उदाहरण के तौर पर यदि अदालत कोई आदेश देती है तो उसकी प्रति पुलिस और जेल के ई-प्लेटफार्म पर तत्काल उपलब्ध हो जाएगी। इसी तरह किसी फोरेंसिक लैब की रिपोर्ट को पुलिस और अदालत अपने-अपने ई-प्लेटफार्म पर देख सकेगी। मामलों से जुड़े रिकॉर्ड को सर्च करने और रखरखाव में इस कदम के बाद आसानी हो जाएगी।

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