दिवाली के दिन मां लक्ष्मी की कृपा पाने के लिए इस कथा का जरूर करें पाठ

दिवाली के दिन प्रदोष काल में मां लक्ष्मी और भगवान गणेश की पूजा की जाती है

दिवाली के दिन प्रदोष काल में मां लक्ष्मी और भगवान गणेश की पूजा की जाती है। ऐसी मान्यता है दीपावली वाले दिन धन की देवी मां लक्ष्मी धरती पर विचरण के लिए आती हैं। इस दौरान उनकी जो सच्चे मन से अराधना करता है, वह अपनी कृपा बरसाती हैं। दिवाली के दिन कई लोग मां लक्ष्मी को प्रसन्न करने के लिए व्रत रखते हैं और शाम को विधि-विधान से पूजन के बाद व्रत खोलते हैं। जानिए दिवाली की यह पावन कथा-

पढ़ें दिवाली की पौराणिक कथा-

एक पौराणिक कथा के अनुसार, एक गांव में साहूकार रहता था। उसकी बेटी हर दिन पीपल के पेड़ पर जल चढ़ाने के लिए जाती थी। जिस पीपल के पेड़ पर वह जल चढ़ाती थी, उस पेड़ पर मां लक्ष्मी का वास था। एक दिन लक्ष्मीजी ने साहूकार की बेटी से कहा कि वह उसकी मित्र बनना चाहती हैं। लड़की ने जवाब में कहा कि वह अपने पिता से पूछकर बताएगी। घर आकर साहूकार की बेटी ने पूरी बात बताई। बेटी की बात सुनकर साहूकार ने हां कर दी। दूसरे दिन साहूकार की बेटी ने लक्ष्मीजी को सहेली बना लिया।

Diwali 2020: दिवाली पर इन 5 जगहों पर भी है दीपक जलाने का नियम, मां लक्ष्मी आएंगी आपके द्वार 

दोनों अच्छी सखियों की तरह एक-दूसरे से बातें करतीं। एक दिन लक्ष्मीजी साहूकार की बेटी को अपने घर ले आईं। लक्ष्मी जी ने अपने घर में साहूकार की बेटी का खूब आदर किया और पकवान परोसे। जब साहूकार की बेटी अपने घर लौटने लगी तो लक्ष्मीजी ने उससे पूछा कि वह उन्हें कब अपने घर बुलाएगी। साहूकार की बेटी ने लक्ष्मी जी को अपने घर बुला लिया, लेकिन आर्थिक स्थिति ठीक न होने के कारण वह स्वागत करने में घबरा रही थी कि क्या वह अच्छे तरह से स्वागत कर पाएगी।

मां लक्ष्मी को प्रसन्न करने के लिए घर के मुख्यद्वार और दिवाली पूजन की जगह बनाएं इस प्रकार की रंगोली

साहूकार अपनी बेटी की मनोदशा को समझ गया। उसने बेटी को समझाते हुए कहा कि वह परेशान न हो और फौरन घर की साफ-सफाई कर चौका मिट्टी से लगा दे। चार बत्ती वाला दीया लक्ष्मी जी के नाम से जलाने के लिए भी साहूकार ने अपनी बेटी से कहा। उसी समय एक चील किसी रानी का नौलखा हार लेकर साहूकार के घर आ गया। साहूकार की बेटी ने उस हार को बेचकर भोजन की तैयारी की। थोड़ी ही देर में मां लक्ष्मी भगवान गणेश के साथ साहूकार के घर आईं और साहूकार के स्वागत से प्रसन्न होकर उसपर अपनी कृपा बरसाई। लक्ष्मी जी की कृपा से साहूकार के पास किसी चीज की फिर कभी कमी न हुई।

(इस आलेख में दी गई जानकारियां धार्मिक आस्थाओं और लौकिक मान्यताओं पर आधारित हैं, जिसे मात्र सामान्य जनरुचि को ध्यान में रखकर प्रस्तुत किया गया है।)

Leave A Reply

Your email address will not be published.