दिल्ली हाई कोर्ट से सुदर्शन टीवी के शो को रोकने में विफल होने के बाद अब सुप्रीम कोर्ट पहुंचे पूर्व नौकरशाह।
शीर्ष अदालत ने 28 अगस्त को वकील फिरोज इकबाल खान की एक याचिका पर सुनवाई के दौरान चैनल पर कार्यक्रम के प्रसारण से पहले प्रतिबंध लगाने से इन्कार कर दिया था।
(एनएलएन मीडिया – न्यूज़ लाइव नाऊ) : सुदर्शन टीवी की आवाज़ को दबाने की कोशिश जारी है। नौकरशाही में मुस्लिमों की कथित ‘घुसपैठ’ पर सुदर्शन टीवी के कार्यक्रम ‘बिंदास बोल’ के प्रसारण को रोकने के लिए सुप्रीम कोर्ट में लंबित याचिका में पक्षकार बनाने के लिए सात पूर्व नौकरशाहों ने याचिका दायर की है। दिल्ली हाई कोर्ट ने 11 सितंबर को कार्यक्रम के प्रसारण पर रोक लगाने से इन्कार कर दिया था। इस कार्यक्रम के प्रोमो में दावा किया गया था कि चैनल सरकारी सेवाओं में मुसलमानों की ‘घुसपैठ’ की साजिश पर बड़ा पर्दाफाश करेगा।
इससे पहले शीर्ष अदालत ने 28 अगस्त को वकील फिरोज इकबाल खान की एक याचिका पर सुनवाई के दौरान चैनल पर कार्यक्रम के प्रसारण से पहले प्रतिबंध लगाने से इन्कार कर दिया था। अमिताभ पांडे और नवरेखा शर्मा समेत पूर्व नौकरशाहों ने अनौपचारिक ‘संवैधानिक आचरण समूह’ बनाकर एक याचिका दायर की है। उन्होंने कहा कि शीर्ष कोर्ट को इस तथ्य के मद्देनजर ‘द्वेषपूर्ण बयानों’ पर अधिकार के साथ घोषणा करनी चाहिए कि उसने मौजूदा मामले में बोलने की स्वतंत्रता और अन्य संवैधानिक मूल्यों के बीच संतुलन की मंशा व्यक्त की थी। इन सबके बीच मीडिया की अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता को दबाने के बाद ही कोर्ट से ऐसे फ़ैसले की माँग की जा सकती है, यह विचार शायद इस समूह को समझ नहीं आ रही है। मीदिया को क्या बोलना है और क्या नहाईं बोलना इसका फ़ैसला कौन करेगा? इस सवाल का जवाब शायद हाई किसी के पास हो।