(बैंकाक) विश्व प्रसिद्द आध्यात्मिक पीठ ‘कौलान्तक पीठ’ के प्रमुख ‘ईशपुत्र’ यानि ‘महायोगी सत्येंद्र नाथ, अपनी थाईलैंड की ‘आध्यात्म प्रसार यात्रा’ को पूर्ण कर भारत लौटे। ‘ईशपुत्र’ को इस दौरान कई स्थानीय संस्थाओं ने आमंत्रित किया और ‘थाई संस्कृति’ से परिचय करवाया। दुनिया में योग, तंत्र और अध्यात्म की सबसे पुरानी हिमालयाई परंपरा के प्रमुख होने के कारण लोग उनको देखने के लिए उत्सुक थे।‘महायोगी सत्येंद्र नाथ’ ये नाम भारत में परिचय का मोहताज नहीं है, किन्तु भारत से बहार लोग उनको केवल ‘ईशपुत्र’ के नाम से जानते हैं।
सबसे पहले ‘थाईलैंड’ पहुंचते ही उनहोंने ‘बैंकॉक’ के निकट ‘पानाया’ में युवाओं और स्थानीय लोगों का अभिवादन स्वीकार किया और उपस्थित समूह को भारतीय ‘ऋषि दर्शन’ और थाईलैंड व भारत के प्राचीन संबंधों के बारे में बताया। युवाओं ने ‘ईशपुत्र’ से योग-ध्यान और उनकी समाधी से जुड़े प्रश्न किये। लोग ‘कौलान्तक पीठ’ को समझने और पीठ से जुड़ने के लिए उत्तवाले दिखे। युवाओं ने कहा कि यहाँ ‘थाईलैंड’ में धर्म और अध्यात्म के नाम पर बहुत पाखण्ड है। हर कोई धर्म के नाम पर लूट रहा है। इस पर ‘ईशपुत्र’ ने कहा कि ”ये लोग आपको इसलिए लूट पाते हैं क्योंकि आपको सही जानकारी नहीं है। इसलिए ज्ञान स्वयं प्राप्त कीजिये किसी की बातों में ना आइये।” ‘ईशपुत्र’ का अगला कार्यक्रम ‘बैंकाक’ में था। इस कार्यक्रम के बाद वो ‘बैंकाक’ रवाना हुए, जहाँ उनहोंने लोगों को आशीर्वाद दिया और योग कुछ चुनिंदा लोगों को सिखाया। ‘ईशपुत्र’ को स्थानीय लोग ‘बैंकाक’ दर्शन और ‘फ्लोटिंग मार्केट’ जैसी जगह भी ले गए। बहुत से बौद्ध मंदिरों के दर्शनों के साथ-साथ नए लोगों से मिलने का कार्यक्रम जारी रहा। इसके बाद ‘ईशपुत्र’ का अगला कार्यक्रम बैंकाक से दूर ‘पत्ताया’ नाम के शहर में था। वहां भी ‘ईशपुत्र’ के आगमन से लोग बेहद प्रसन्न दिखे। जब लोगों को पता चला कि ‘हिमालय के योगी’ आये हैं तो मिलने वालों का उत्साह देखते ही बनता था। कुछ युवा ‘ईशपुत्र’ के समाधि वाले चित्र को पहले से पहचानते थे। ऐसे में ‘महायोगी’ को सामने पा कर उनको अपनी आँखों पर विश्वास नहीं हो पा रहा था। ‘पत्ताया’ में ‘तंत्र और भ्रम’ पर ‘ईशपुत्र’ का सम्बोधन था। अपने कार्यक्रम को पूरा करके ‘ईशपुत्र’ ‘पत्ताया’ के समंदर और प्राचीन मंदिर के दर्शनों के लिए गए। मौज-मस्ती के लिए प्रसिद्द ‘थाईलैंड’ में ‘ईशपुत्र’ के आगमन से एक नया ही वातावरण तैयार हो गया। अब ‘ईशपुत्र’ भारत लौट रहे हैं तो उनसे प्रेम करने वाले उनसे कुछ और समय रुकने का निवेदन कर रहे हैं। ऐसे में जल्द ही फिर आ कर ‘पूजा और साधना शिविर’ थाईलैंड में आयोजित करने का वादा करने पर ही उन्हें लौटने की अनुमति मिली है। जानकारी के अनुसार ‘ईशपुत्र’ हिमाचल के लिए रवाना होंगे। क्योंकि माह के अंत में ‘हिमाचल’ स्थित ‘बालीचौकी’ आश्रम में एक अत्यंत गंभीर और महत्त्वपूर्ण सात दिवसीय ‘कर्मकाण्ड प्रशिक्षण शिविर’ है।