डॉनल्ड ट्रंप के तुर्की को किए गए एक फोन ने सीरिया में युद्ध की स्थिति को दिया बदल

अमेरिकी अधिकारियों के मुताबिक, दो सप्ताह पहले जब ट्रंप ने फोन किया था तो ऐसी उम्मीद की जा रही थी कि वह पूर्वोत्तर सीरिया में अमेरिका समर्थित कुर्द बलों को लक्ष्य करके हमला किए जाने की योजना पर तुर्की राष्ट्रपति को आगाह करेंगे

(एनएलएन मीडिया – न्यूज़ लाइव नाऊ) : अमेरिकी राष्ट्रपति डॉनल्ड ट्रंप का तुर्की के राष्ट्रपति तैयप एर्डोगन को सीरिया से अपने सैनिकों की वापसी की घोषणा को लेकर फोन करना अंकारा को हैरान करने वाला था। अमेरिकी अधिकारियों के मुताबिक, दो सप्ताह पहले जब ट्रंप ने फोन किया था तो ऐसी उम्मीद की जा रही थी कि वह पूर्वोत्तर सीरिया में अमेरिका समर्थित कुर्द बलों को लक्ष्य करके हमला किए जाने की योजना पर तुर्की राष्ट्रपति को आगाह करेंगे। लेकिन इसकी जगह ट्रंप ने बातचीत के दौरान मध्य-पूर्व में अमेरिकी नीति को नया रूप दिया, जिसमें सीरिया के एक हिस्से को अकेला छोड़ देना और सीरिया में इस्लामिक स्टेट के खात्मे की जिम्मेदारी अंकारा को सौंपना शामिल है। ट्रंप ने 14 दिसंबर को एर्डोगन से फोन पर बातचीत की थी। तुर्की के एक अधिकारी ने बताया, ‘ट्रंप ने पूछा, अगर हम हमारे सैनिकों को हटा लें, क्या आईएस का खात्मा कर सकते हैं?’ जब एर्डोगन ने कहा कि उनके सैनिक यह जिम्मेदारी लेने के लिए तैयार हैं तो ट्रंप ने कहा, ‘फिर आप यह काम कीजिए।’इस दौरान ट्रंप के सुरक्षा सलाहकार जॉन बॉल्टन भी फोन कॉल पर थे। ट्रंप ने उनसे कहा, ‘सीरिया से अमेरिकी सैनिकों की वापसी का काम शुरू कीजिए।’ अधिकारी ने कहा, ‘मुझे कहना है कि यह अनपेक्षित फैसला था। आश्चर्य शब्द इस स्थिति की व्याख्या करने के लिए काफी कमजोर हैं।’ ट्रंप का फैसला न सिर्फ तुर्की बल्कि खुद अमेरिका के लिए भी हैरान करने वाला था, जहां रक्षा मंत्री जिम मैटिस सहित प्रशासन के वरिष्ठ अधिकारी कई दिनों तक ट्रंप को फैसला बदलने के लिए मनाते रहे। जब ट्रंप ने यह साफ कर दिया कि वह पीछे नहीं हटेंगे, तब मैटिस और एक वरिष्ठ अधिकारी ब्रेट मैकगर्क ने इस्तीफा दे दिया। वहीं, इराक में अमेरिकी एयर बेस के दौरे पर ट्रंप ने कहा कि मिलिटरी कमांडरों ने सीरिया में 2000 और सैनिक भेजने की अपील की थी, लेकिन उन्होंने इस अपील को रद्द कर दिया, क्योंकि उनके मुताबिक इस्लामिक स्टेट को हराया जा चुका है। ट्रंप का फैसला तुर्की के लिए अवसर के साथ ही खतरा भी है। तुर्की सालों से नाटो सहयोगी अमेरिका द्वारा इस्लामिक स्टेट के खिलाफ लड़ने के लिए कुर्द वाईपीजी मिलिशिया को पार्टनर के रूप में चुनने को लेकर शिकायत करता रहा है। तुर्की का कहना है कि वाईपीजी एक आतंकी संगठन है, जिसे कुर्दिस्तान वर्कर्स पार्टी से अलग नहीं किया जा सकता है जिसने दक्षिणी तुर्की में चरमपंथ को बढ़ावा दिया है और 40,000 लोग इसमें मारे गए हैं। अमेरिकी सैनिकों के हटने के फैसले से अब तुर्की सैनिक वाईपीजी को सीमा से 500 मीटर दूर हटने के लिए मजबूर कर देंगे। इस फैसले ने दोनों देशों के बीच कूटनीतिक संकट की एक मुख्य वजह को भी खत्म कर दिया है। लेकिन इसने साथ ही सीरिया के उस इलाके को खोल दिया है जहां तुर्की अपनी मौजूदगी दर्ज कराने की कोशिश करेगा। यह न सिर्फ खुद को कुर्द बलों बल्कि सीरिया की सरकार और इसके रूसी और ईरानी समर्थकों के खिलाफ खड़ा करेगा। बता दें कि ट्रंप की घोषणा के बाद वाईपीजी ने शुक्रवार को सीरियाई सरकार से कहा कि वह तुर्की के हमले से बचने के लिए मनबिज शहर पर अपना नियंत्रण ले ले जहां अमेरिका के समर्थन में कुर्द मिलिशिया का नियंत्रण है।

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