जानें अरुण जेटली द्वारा किए गए वे सुधार जो देश के लिए साबित हुए ऐतिहासिक।
बतौर वित्त मंत्री उन्होंने जीएसटी लागू किया, रेल और आम बजट को एक किया और आम बजट पेश करने की तारीख भी बदली।
(एनएलएन मीडिया – न्यूज़ लाइव नाऊ) : आज शनिवार को भाजपा के कद्दावर नेता और पूर्व वित्त मंत्री अरुण जेटली का निधन हो गया। जेटली वकील थे लेकिन उन्हें वित्तीय मामलों का भी गूढ़ जानकार माना जाता है। यही वजह है कि नरेंद्र मोदी 2014 में जब पहली बार प्रधानमंत्री बने तो वित्त मंत्रालय का प्रभार जेटली को सौंपा गया। हालांकि, इसी दौरान रक्षा मंत्रालय भी उनके पास था। मोदी के नेतृत्व वाली एनडीए सरकार का जब भी जिक्र किया जाएगा तो जेटली हमेशा याद किए जाएंगे। बतौर वित्त मंत्री उन्होंने जीएसटी लागू किया, रेल और आम बजट को एक किया और आम बजट पेश करने की तारीख भी बदली। 1. भारत जैसे विशाल देश में एक टैक्स व्यवस्था लागू करना आसान नहीं था। राज्य और केंद्र अपने हिसाब से कर निर्धारण करते थे। आजादी के बाद से ही यह व्यवस्था चली आ रही थी। आधुनिक समय में इससे कई विसंगतियां सामने आईं। जीएसटी की पहल यूपीए सरकार के दौरान हुई। बहस चलती रही। जब 2014 में एनडीए सरकार सत्ता में आई तो इस पर गंभीरता और त्वरित अंदाज में काम शुरू हुआ। ये अरुण जेटली ही थे जिन्होंने अपने कौशल और सर्वमान्यता के बूते पर 2017 में जीएसटी बिल पास कराया और इसे लागू किया। पूर्व वित्त मंत्री ने साफ किया था कि राज्य और केंद्र का हिस्सा अलग-अलग होगा और समय के साथ कमियों को दूर किया जाएगा। आज जीएसटी को लागू हुए करीब दो साल हो गए हैं। भारत में कर सुधार व्यवस्था का यह सबसे अहम कदम माना जाता है। 2. रेल और आम बजट अब एक साथ- पहले तक रेल और आम बजट अलग-अलग पेश किए जाते थे। 1924 में शुरू हुई यह परंपरा 2017 तक जारी थी। तर्क ये दिया जाता था कि रेल मंत्रालय का कार्यक्षेत्र काफी विस्तृत है और इसको अलग रखना ही बेहतर है। कुछ जानकार यह तर्क भी देते रहे कि रेल मंत्रालय का जितना बजट है, उतना तो कई छोटे देशों का राष्ट्रीय बजट होता है। जेटली इससे सहमत नहीं थे। संसद में बहस के दौरान उन्होंने कहा था- अंतत: रेल बजट भी आम बजट का ही हिस्सा है। यह देश में वित्तीय व्यवस्थाओं का निर्धारण है और इसे आम बजट से अलग रखने का कोई तार्किक औचित्य नहीं है। उनके प्रयास कारगर साबित हुए और रेल बजट को आम बजट में अलग से सम्मिलित कर लिया गया। 3. बजट पेश करने की तारीख भी बदली- बजटीय व्यवस्थाओं में सुधार की जरूरत को जेटली तब भी रेखांकित करते थे, जब वो विपक्ष में थे। सरकार में वित्त मंत्रालय संभालने के बाद उन्होंने इन्हें लागू भी किया। 2017 से आम बजट करीब एक महीने पहले यानी 1 फरवरी को पेश किया जाने लगा। रेल बजट भी इसका हिस्सा बना। जेटली ने कहा था- अगर वित्तीय वर्ष की शुरुआत 1 अप्रैल से मानी जाती है तो बजट इसके पहले पास क्यों नहीं किया जाना चाहिए। इससे किसानों और कारोबारियों के साथ आम जनता को भी लाभ होगा और सरकार को भी जन-लाभ की नीतियां बनाने में मदद मिलेगी। आर्थिक सर्वेक्षण पेश करने की तारीख भी बदलकर 31 जनवरी की गई। 4. बैंकिंग सेक्टर में सुधार- 2014 के पहले तक कुछ मामले ऐसे आए जिनमें कंपनियां या कुछ बड़े कारोबारी बैंक से मोटा कर्ज लेते और इन्हें वापस नहीं करते। इससे बैंकों की हालत खराब होती गई। जेटली मोदी सरकार के पहले कार्यकाल में इन्सॉल्वेंसी एंड बैंकरप्सी कोड यानी आईबीसी लाए। इसका फौरी तौर पर तो फायदा हुआ ही, भविष्य में ज्यादा होगा। एक आंकड़े के मुताबिक, इसके तहत करीब तीन लाख करोड़ रुपए की संपत्तियों का निस्तारण किया गया। इसी क्रम में एनपीए भी बहुत बड़ा आर्थिक सुधार कहा जा सकता है। 5. एफडीआई का विस्तार- जेटली लंबे समय तक एफडीआई नियमों को उदार बनाने के पक्षधर रहे। उनका कहना था कि अगर सरकार सही नियम बनाए तो कई महत्वपूर्ण सेक्टर्स में प्रत्यक्ष विदेशी निवेश लाया जा सकता है। यही उन्होंने किया भी। एफडीआई के नियमों को सरल बनाया। इसकी वजह से रक्षा, उड्डयन और बीमा क्षेत्र में एफडीआई शुरू किए जा सके। इतना ही नहीं उन्होंने निवेश की सुविधा को ज्यादा बेहतर बनाने के लिए एफआईपीबी यानी फॉरेन इन्वेस्टमेंट प्रमोशन बोर्ड का भी गठन किया। नतीजे भी बेहतर मिले। इसकी बानगी ये है कि 2014 में 24.3 अरब डॉलर एफडीआई जो मोदी सरकार के दूसरे कार्यकाल यानी 2019 में करीब 44.4 अरब डॉलर हो गई। इस तरह अरुण जेटली द्वारा किए गए सुधारों ने देश के भविष्य को नई दिशा देने में मदद की थी।