चीन ने 3 साल में 16000 मस्जिदों को ढहाया, उइगर मुस्लिमों पर बरपा रहा कहर
चीन की कम्युनिस्ट पार्टी पर मुस्लिमों के खिलाफ अत्याचार के आरोप लगाए गए हैं। यहां के प्रवासी शिविरों में रह रहे लोगों के साथ चीन बेहद अमानवीयता के साथ पेश आ रहा है। इस क्षेत्र में मानवाधिकारों की व्यापक अवहेलना हो रही है।
(एनएलएन मीडिया – न्यूज़ लाइव नाऊ) : साल 2017 से लेकर अब तक चीन की सरकार ने शिनजियांग प्रांत में लगभग 16,000 मस्जिदों को नष्ट किया है। इनमें से करीब 8500 मस्जिद पूर्ण रूप से ध्वस्त किए गए हैं। ये जमीनें अभी तक खाली पड़ी हैं। यह जानकारी ऑस्ट्रेलियन स्ट्रैटेजिक पॉलिसी इंस्टीट्यूट (ASPI) ने दी है। ऑस्ट्रेलिया के इस थिंक टैंक ने यह दावा सैटेलाइट इमेजरी और स्टैटिस्टिकल मॉडलिंग के आधार पर किया है। थिंक टैंक ने दावा किया है कि प्रांत में करीब 28% मस्जिदों को क्षतिग्रस्त किया गया है या उन्हें किसी और चीज में तब्दील कर दिया गया। वहीं, धार्मिक मार्ग, इबादतगाहों और कब्रिस्तानों सहित 30% महत्वपूर्ण इस्लामी स्थलों का शिनजियांग में समूल विनाश किया गया है। अनुमान के मुताबिक साल 2017 के बाद प्रांत में हर तीन मस्जिदों में से एक को ध्वस्त किया गया। इस थिंक टैंक ने प्रांत में मौजूद मस्जिदों और चीनी प्रशासन द्वारा दावे किए जा रहे मस्जिदों के आँकड़े में भी विरोधाभास पाया। एक तरफ जहाँ चीनी सरकार का कहना है कि शिनजियांग में 24000 से ज्यादा मस्जिद हैं, वहीं उनकी रिपोर्ट कहती है कि आज के समय में वहाँ 15,500 मस्जिद हैं। इसमें भी दिलचस्प बात यह है कि मौजूदा मस्जिदों में से भी लगभग 7500 मस्जिद कुछ हद तक क्षतिग्रस्त हो गए हैं।एएसपीआई ने इस बात पर जोर दिया है कि 2012-2016 के बीच कई मस्जिदों का रेनोवेट किया गया था, लेकिन 2017 के बाद से ऐसा प्रतीत होता है कि ‘चीजों को सुधारने’ के लिए नीति में परिवर्तन हुआ।एएसपीआई ने अनुमान लगाया है कि शिनजियांग में लगभग 8,450 मस्जिदें नष्ट हो गई थीं और अनुमानित 7,550 मस्जिदों को क्षतिग्रस्त कर दिया गया था या फिर इस्लामी शैली की वास्तुकला और प्रतीकों को हटाने की आड़ में उनमें ‘सुधार’ किया गया। यह गौर करने वाली बात है कि शिनजियांग में बहाली या नवीकरण कार्य के नाम पर सांस्कृतिक विनाश का काम अक्सर किया जाता रहा है। थिंक टैंक ने सैटेलाइट इमेजरी का इस्तेमाल करते हुए, 2017 से पहले मौजूद मस्जिदों का एक नया डेटा-सेट बनाया है। इसके जरिए उन्हें साल 2017 से पहले 900 से अधिक इस्लामी स्थलों का पता चला है। उन्होंने हालिया तस्वीरों का उपयोग करते हुए, अव्यवस्थित, कम क्षतिग्रस्त, काफी क्षतिग्रस्त और नष्ट कर दिए गए मस्जिदों को वर्गीकृत किया। इसके बाद विश्लेषण करके उन्होंने इस्लामी स्थलों की संरचना में किए गए बदलाव को आसानी से देखा। संगठन ने यह भी पाया कि मस्जिदों के अलावा, चीनी सरकार के अधिकारियों ने महत्वपूर्ण पवित्र मजहबी जगहों, कब्रिस्तानों और इबादतगाहों को भी खंडित किया है। डेटा और विश्लेषण से पता चलता है कि उन पवित्र स्थलों में से 30% को ध्वस्त कर दिया गया है। वहीं, बाकी के 27.8% किसी अन्य वजहों से क्षतिग्रस्त हो गए हैं। कुल मिलाकर चीनी कानून के तहत संरक्षित 17.4% स्थल नष्ट हो गए और 61.8% असुरक्षित स्थल क्षतिग्रस्त या ध्वस्त कर दिए गए। इस दौरान ऑस्ट्रेलिया की इस थिंक टैंक को एक तरह का पैटर्न भी देखने को मिला, जिससे मस्जिदों को ध्वस्त करने का काम हुआ। उन्होंने पाया कि जिन क्षेत्रों में कम टूरिस्ट आते थे, वहाँ विध्वंस की दर कम थी, जैसे कि उरुमकी। थिंक टैंक ने अपने विश्लेषण में यह भी देखा कि जो मस्जिद क्षतिग्रस्त नहीं हुए, उनमें पहले कोई इस्लामिक वास्तुशिल्प का काम नहीं है, इसलिए ‘उनको ‘सुधार’ अभियान के नाम पर ध्वस्त नहीं किया गया। फिर कई मस्जिदों को नागरिक और कमर्शियल स्थानों जैसे कि कैफे-बार और सार्वजनिक शौचालयों में बदल दिया गया। मौजूदा मस्जिदों में से 75% में ताला जड़ा है या आज उनमें कोई आता-जाता नहीं है। गौरतलब है कि इस रिपोर्ट में इस बात का भी उल्लेख किया गया है कि चीन ने उत्तर पश्चिमी क्षेत्र में बने कॉन्सन्ट्रेशन कैंप में करीब 1 लाख उइगर मुस्लिमों को रखा हुआ है, जहाँ उन्हें उनके मजहबी रिवाजों का छोड़ने के लिए मजबूर किया जाता है। थिंक टैंक ने यह भी देखा कि अप्रैल 2016 में चीन प्रधानमंत्री के भाषण के बाद मस्जिदों में नवीनीकरण का काम बंद हो गया था, इसके बाद केवल चीनी संस्कृति का वहाँ विस्तार हुआ। जिनपिंग के ही नेतृत्व में ‘सांस्कृतिक आत्मसात’ और ‘अंतर जातीय मिलन’ शुरू हुआ। स्टेट काउंसिल इंफॉर्मेशन ऑफ़िस द्वारा प्रकाशित एक श्वेतपत्र में, चीनी कम्युनिस्ट पार्टी (CCP) ने कहा है कि चीन जो कर रहा है उसके लिए उइगर मुसलमान ज़िम्मेदार हैं। चीन ने एक चौंकाने वाले दावा करते हुए खुलासा किया कि उसने शिनजियांग के उइगर-बहुल प्रांत में 2014 और 2019 के बीच शिक्षा शिविरों में 1.29 मिलियन से अधिक लोगों को रखा है। श्वेतपत्र में यह भी दावा किया गया कि उइगर मुसलमान आतंकवादी थे, जो ‘आफ्टरलाइफ’ में विश्वास करते थे। मजहबी शिक्षा के कारण उन्होंने आधुनिक विज्ञान को खारिज कर दिया। इसके साथ ही वे अपने व्यावसायिक कौशल, आर्थिक परिस्थितियों और अपने स्वयं के जीवन को बेहतर बनाने की क्षमता में सुधार करने को तैयार नहीं थे।