ग्लोबल वार्मिंग के कारण साल 2100 तक पिघल सकतें है दुनिया के आधे हेरिटेज ग्लेशियर
एक अध्ययन में कहा गया है कि अगर दुनिया का तापमान इसी रफ्तार से बढ़ता रहा तो साल 2100 तक विश्व के आधे हेरिटेज ग्लेशियर पिघल जाएंगे।
(एनएलएन मीडिया – न्यूज़ लाइव नाऊ) : वैश्विक तापमान में बढ़ोतरी को लेकर एक और चेतावनी सामने आई है। एक अध्ययन में कहा गया है कि अगर दुनिया का तापमान इसी रफ्तार से बढ़ता रहा तो साल 2100 तक विश्व के आधे हेरिटेज ग्लेशियर पिघल जाएंगे। इसकी वजह से पानी का संकट पैदा होगा, समुद्र का जलस्तर बढ़ेगा और मौसम चक्र में भी परिवर्तन हो सकता है। अध्यन में कहा गया है कि इस आपदा की चपेट में हिमालय का खुम्भू ग्लेशियर भी आ सकता है जो अगली सदी में गायब हो सकता है।यह अध्ययन ‘इंटरनेशनल यूनियन फॉर कंजर्वेशन ऑफ नेचर’ यानी आईयूसीएन ने किया है। हेरिटेर ग्लेशियर्स को लेकर यह दुनिया का पहला शोध माना गया है। रिसर्च में शामिल वैज्ञानिकों के अनुसार, स्विटजरलैंड के मशहूर ग्रोसर एल्चेस्टर और ग्रीनलैंड के जैकबशावन आईब्रेस भी खतरे के दायरे में आते हैं। अध्ययन के लिए ग्लोबल ग्लेशियर इन्वेंट्री डाटा के अलावा कंप्यूटर मॉडल की भी मदद ली गई है। इनके जरिए वर्तमान स्थितियों का आकलन किया गया।
फिर यह नतीजा निकाला गया कि अगर तापमान वृद्धि और कार्बन उत्सर्जन की वर्तमान दर जारी रही तो हेरिटेज ग्लेशियर पर क्या प्रभाव पड़ेगा।शोध पत्र में कहा गया है कि अगर तापमान वृद्धि की यही दर जारी रही तो सन 2100 तक 46 प्राकृतिक ग्लेशियरों में से 21 खत्म हो जाएंगे। ये सभी हेरिटेज ग्लेशियर कहे जाते हैं। रिसर्च के मुताबिक, अगर उत्सर्जन कम भी होता है तो इनमें से 8 को बचाना मुश्किल होगा। अध्ययन में कहा गया है कि 2017 में इन ग्लेशियरों में जो बर्फ मौजूद थी उसका 33 से 60 फीसदी हिस्सा सन 2100 तक पिघल चुका होगा।शोध की अगुवाई करने वाले वैज्ञानिक पीटर शैडी ने कहा, “इन ग्लेशियर को खोना किसी त्रासदी से कम नहीं होगा। इसका सीधा असर पेयजल के संसाधनों पर पड़ेगा। समुद्री जलस्तर में वृद्धि होगी और यहां तक मौसम चक्र पर भी इसका असर साफतौर पर देखा जाएगा। अब दुनियाभर की सरकारों को चेत जाना चाहिए क्योंकि आने वाली पीढ़ियों के लिए इन ग्लेशियरों का रहना बेहद जरूरी है।