गलती से पाकिस्तानी सीमा पर गए भारतीय सैनिक चंदू चव्हाण का कोर्ट मार्शल, 2 महीने की सजा मिली

एलओसी पर ड्यूटी के दौरान गलती से पाकिस्तान की सीमा में गए भारतीय सैनिक चंदू चव्हाण को आर्मी कोर्ट ने दोषी ठहराया है। कोर्ट ने चंदू का कोर्ट मार्शल करते हुए उसे दो महीने जेल की सजा की सिफारिश की है। चंदू पिछले साल गलती से पाकिस्तान चला गया था। जनवरी 2017 में उसे भारत को सौंप दिया गया था। बता दें कि चंदू 37 राष्ट्रीय राइफल्स में तैनात थे। सेना के सूत्रों ने की पुष्टि…



– सेना के आधिकारिक सूत्रों ने एक टीवी चैनल को बताया कि सेना की अदालत ने चंदू बाबूलाल चव्हाण को दो महीने कैद की सजा सुनाई है लेकिन सजा की अवधि को उचित अधिकारियों की मंजूरी मिलना अभी बाकी है।
– उन्होंने बताया कि चंदू चव्हाण के मामले की सुनवाई जनरल कोर्ट मार्शल द्वारा की गई। चव्हाण सजा के खिलाफ अपील कर सकते हैं।
– पिछले वर्ष सितंबर में भारत ने नियंत्रण रेखा पार स्थित आतंकी ठिकानों पर सजिर्कल स्ट्राइक की थी जिसके कुछ घंटों बाद सिपाही कश्मीर में सीमा पार कर गया था।
ऐसे पाकिस्तान पहुंच गया था चंदू
– 29 सितंबर को PoK में सर्जिकल स्ट्राइक के कुछ ही घंटे बाद चंदू गलती से पाक सीमा में चले गए थे। पाक रेंजर्स ने उन्हें मानकोट के पश्चिम में झंडरूट में पकड़ा था।
– इसके बाद चंदू को नियाकल के पाकिस्तानी आर्मी हेडक्वार्टर में रखा गया। तब इंडियन आर्मी ने कहा था कि चंदू सर्जिकल स्ट्राइक का हिस्सा नहीं था। वह गलती से सीमा पार कर गया।




पाकिस्तान चले जाने की खबर सुन हुई थी नानी की डेथ
– चंदू को पाकिस्तान में कब्जे में ले जाने की खबर सुनकर उनकी नानी लीलाबाई (65) की हार्ट अटैक से मौत हो गई थी। परिवार वालों ने चंदू के हाथों ही उसकी अस्थियां विसर्जित करने का एलान किया था।
– चंदू के बचपन में माता-पिता की मौत हो गई थी। तब से तीनों भाई-बहन बोरविहिर में अपनी नानी के घर रह रहे थे।
ऐसे हुई चंदू की घर वापसी
– 12 जनवरी 2017 को तत्कालीन रक्षा राज्यमंत्री सुभाष भाम्बरे ने कहा था कि चंदू की घर वापसी के लिए पाक के साथ डीजीएमओ लेवल पर 20 से ज्यादा बार बातचीत हुई।
– पाकिस्तान जांच पूरी होने के बाद हमारे जवान को छोड़ने के लिए राजी भी हो गया है और उसे 21 जनवरी को वाघा बॉर्डर पर छोड़ा गया।
– इसके बाद चंदू 10 फरवरी को महाराष्ट्र के धुले जिले के बोरविहिर गांव पहुंचा और रविवार को अपनी नासिक में गोदावरी नदी के अस्थिकुंड में नानी की अस्थियां विसर्जित की।
– अस्थि विसर्जन के बाद चंदू अपने आंसू रोक नहीं पाए। उन्होंने कहा था, “देश के हर नागरिक ने मुझे छुड़ाने के लिए प्रयास किया। उनके प्रयास के ही मैं वापस लौट सका।

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