कोरोना के वैक्सीन का ब्रिटेन में शुरू हुआ टायल, 80 प्रतिशत सफलता की है उम्मीद।

वैज्ञानिकों का कहना है कि इस वैक्सीन के सफल होने की उम्मीद 80 फीसदी है।

(एनएलएन मीडिया – न्यूज़ लाइव नाऊ) : ओम तिवारी : कोरोना वायरस के कारण पूरी दुनिया थमी हुई है साथ ही इसके इलाज की कोशिशें भी तेज हो गई हैं। ब्रिटेन की ऑक्‍सफर्ड यूनिवर्सिटी की वैक्‍सीन (Oxford University Coronavirus vaccine) का सबसे बड़ा ट्रायल गुरुवार से शुरू हो चुका है। ब्रिटेन में बेहद अप्रत्‍याशित तेजी के साथ शुरू होने जा रहे इस परीक्षण पर पूरे विश्‍व की नजरें टिकी हुई हैं। वैज्ञानिकों का कहना है कि इस वैक्सीन के सफल होने की उम्मीद 80 फीसदी है।
ब्रिटेन में 165 अस्‍पतालों में करीब 5 हजार मरीजों का एक महीने तक और इसी तरह से यूरोप और अमेरिका में सैकड़ों लोगों पर इस वैक्‍सीन का परीक्षण होगा। ऑक्‍सफर्ड यूनिवर्सिटी के संक्रामक रोग विभाग के प्रफेसर पीटर हॉर्बी कहते हैं, ‘यह दुनिया का सबसे बड़ा ट्रायल है।’ प्रफेसर हॉर्बी पहले इबोला की दवा के ट्रायल का नेतृत्‍व कर चुके हैं। उधर, ब्रिटेन के हेल्थ मिनिस्टर मैट हैनकॉक ने कहा है कि दो वैक्सीन इस वक्त सबसे आगे हैं। उन्‍होंने कहा कि एक ऑक्सफर्ड और दूसरी इंपीरियल कॉलेज में तैयार की जा रही है। हैनकॉक के मुताबिक, इस वैक्‍सीन प्रॉजेक्‍ट के लिए यूनिवर्सिटी को ब्रिटेन सरकार से 2 करोड़ पाउंड तक की फंडिंग मिल चुकी है। दूसरे वैक्‍सीन प्रॉजेक्‍ट के लिए यूके सरकार इंपीरियल कॉलेज को 2.20 करोड़ पाउंड की फंडिग दे चुकी है। ऑक्सफोर्ड ट्रायल यूनिवर्सिटी के जेनर इंस्टिट्यूट की तरफ से चलाया जा रहा है। रिसर्च डायरेक्टर प्रफेसर सराह गिलबर्ट ने अनुमान लगाया है कि इस वैक्सीन के सफल होने की उम्मीद 80 फीसदी है। इंस्टिट्यूट का सितंबर तक इस वैक्सीन की मिलियन डोज बनाने का लक्ष्य है ताकि इन्हें जल्द से जल्द लोगों तक पहुंचाया जाए। एक बार वैक्सीन की क्षमता का पता चल जाए तो उसे बढ़ाने पर बाद में भी काम हो सकता है। यह स्पष्ट है कि पूरी दुनिया को करोड़ों डोज की जरूरत पड़ने वाली है। तभी इस महामारी का अंत होगा और लॉकडाउन से मुक्ति मिलेगी। ऑक्‍सफर्ड की वैक्‍सीन का सबसे पहले युवाओं पर परीक्षण किया जा रहा है। अगर यह सफल रहा तो उसे अन्‍य आयु वर्ग के लोगों पर इस वैक्‍सीन का परीक्षण किया जाएगा। जेनर इंस्टिट्यूट के मुताबिक, दो महीने में पता चल जाएगा कि वैक्सीन मर्ज कितना कम कर पाएगी। किसी वैक्सीन को तैयार करने का प्रोटोकॉल 12 से 18 महीने का होता है। किसी भी वैक्सीन को तैयार होकर मार्किट में पहुँचने तक लगने वाले समय के बारे में डब्लूएचओ की भी यही राय है ।

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