कॉम्बैट ट्रेनिंग के लिए टेक ऑफ कर रहा एयरफोर्स का MiG-21 क्रैश, ग्रुप कैप्टन शहीद।

इससे पहले 5 जनवरी को राजस्थान के सूरतगढ़ एयरबेस पर भी मिग-21 बाइसन क्रैश हुआ था। हालांकि, इस हादसे में पायलट को सुरक्षित निकाल लिया गया था।

(एनएलएन मीडिया – न्यूज़ लाइव नाऊ):  वायुसेना का MiG-21 बायसन प्लेन मध्यप्रदेश के ग्वालियर में बुधवार को  क्रैश हो गया। घटना दोपहर करीब 12 बजे की है। इस हादसे में वायुसेना के एक ग्रुप कैप्टन आशीष गुप्ता शहीद हो गए। हादसा एयरफोर्स के सेंट्रल इंडिया बेस में उस समय हुआ, जब MiG-21 एयरक्राफ्ट कॉम्बैट ट्रेनिंग के लिए टेक ऑफ कर रहा था।
वायुसेना ने इस हादसे के पीछे की वजह पता करने के लिए कोर्ट ऑफ इंक्वायरी (जांच) बैठा दी है। एयरफोर्स ने हादसे में शहीद कैप्टन की शहादत पर संवेदना व्यक्त की है। एयरफोर्स ने कहा कि इस दुख की घड़ी में हम उनके परिवार के साथ खड़े हैं।
फायर ब्रिगेड के नोडल अधिकारी अतिबल सिंह ने बताया, उन्हें करीब 12 बजे एयरफोर्स से कॉल आया था। कॉल पर बोला गया था कि ग्वालियर स्थित सेंट्रल एयरबेस पर आगजनी की घटना हुई है। तेल फैलने और घास में आग लगने पर कॉल किया गया था। इसके तुरंत बाद घटनास्थल की ओर फायर ब्रिगेड को रवाना किया गया। गेट पर ही फायर ब्रिगेड के कर्मचारियों के मोबाइल जमा कराए जा रहे थे। तभी अंदर से कॉल आया है कि आग पर कंट्रोल कर लिया गया है। इसके बाद फायर ब्रिगेड की टीम को लौटा दिया गया।
इससे पहले 5 जनवरी को राजस्थान के सूरतगढ़ एयरबेस पर भी मिग-21 बाइसन क्रैश हुआ था। हालांकि, इस हादसे में पायलट को सुरक्षित निकाल लिया गया था। यह इस साल मिग का पहला हादसा था।
रूस और चीन के बाद भारत मिग-21 का तीसरा सबसे बड़ा ऑपरेटर है। 1964 में इस विमान को पहले सुपरसोनिक फाइटर जेट के रूप में एयरफोर्स में शामिल किया गया था। शुरुआती जेट रूस में बने थे और फिर भारत ने इस विमान को असेम्बल करने का अधिकार और तकनीक भी हासिल कर ली थी।
तब से अब तक मिग-21 ने 1971 के भारत-पाक युद्ध, 1999 के कारगिल युद्ध समेत कई मौकों पर अहम भूमिका निभाई है। इस प्लेन का निर्माण करना रूस ने 1985 में बंद कर दिया था किन्तु भारत अभी भी इसके अपग्रेडेड वैरिएंट का प्रयोग अपनी वायुसेना में कर रहा है।

Leave A Reply

Your email address will not be published.