कश्मीर प्रदर्शन की हिंसा में अब तक 30 लोगों की मौत

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श्रीनगर, हिजबुल मुजाहिदीन के कमांडर बुरहान वानी की मुठभेड़ में मौत के बाद कश्मीर में शुरू हुआ विरोध प्रदर्शन का दौर जारी है। विरोध प्रदर्शन के दौरान हिंसा में मरने वालों की संख्या बढ़कर 30 हो गई है और घायलों की संख्या सैकड़ों में पहुंच गई है। कश्मीर की आजादी का स्पोर्ट करने वाले नेताओं ने अपनी हड़ताल 13 जुलाई तक के लिए बढ़ा दी है।

राज्य के प्रमुख विपक्षी दल नैशनल कॉन्फ्रेंस ने बीजेपी को आगाह करते हुए कहा कि वह उत्तर प्रदेश के चुनाव से पहले राज्य को ‘घृणा फैलाने’ मंच ना बनाए। उसने कहा है कि इस संवेदनशील राज्य के लिए किसी भी दुर्घटना का गंभीर परिमाण और गहरा रणनीतिक असर हो सकता है। वानी की मौत के बाद चौथे दिन कश्मीर घाटी के सभी 10 जिलों में कर्फ्यू जारी रहा और इंटरनेट ब्लॉक रहा। राज्य के सभी बड़े अस्पतालों में घायल सिविलियंस की बाढ़ रही।

पुलिस सूत्रों के मुताबिक, पिछले 4 दिन में सबसे ज्यादा मौतें अनंतनाग में हुई। यहां हिंसा में 13 लोग मारे गए। इसके अलावा कुलगाम में 9, शोपियां में 4, पुलवामा में 3 और श्रीनगर में एक की जान चली गई। इस बीच पुलिस के प्रवक्ता ने सिर्फ 22 लोगों के मरने की पुष्टि की है। उन्होंने बताया कि आंकड़ों की जांच जारी है। पुलिस का कहना है कि हिंसा में पुलिस और अर्धसैनिक बल के कई जवान भी घायल हुए हैं। कई जगहों पर प्रदर्शनकारियों ने साउथ, नॉर्थ और सेंट्रल कश्मीर में पुलिस (SOG), आर्मी और सीआरपीएफ के उन कैंपों पर हमले किए, जिनको छोड़ दिया गया है। पुलिस प्रवक्ता ने कहा, ‘घाटी में सोमवार को हालात काबू में रहे लेकिन कुछ जगहों पर आगजनी होने और भीड़ के हमले करने की खबरें आई हैं।’ पुलिस सूत्रों के मुताबिक, बांदीपुरा और पुलवामा के कुछ युवा लापता बताए जा रहे हैं। आशंका जताई जा रही है कि वे आतंकियों के साथ चले गए हैं।

अमेरिका की एक न्यूज वेबसाइट ने सोमवार को कहा कि हिज्बुल मुजाहिदीन के कमांडर बुरहान वानी के समर्थन में की गई पाकिस्तान की टिप्पणी क्षेत्र में मौजूद आतंकवादी समूहों के प्रति उसके समर्थन को दर्शाती है। द लॉन्ग वॉर जर्नल (टीएलडब्लूजे) ने अपनी एक रिपोर्ट में कहा, पाकिस्तान की सरकार ने भारतीय सैनिकों द्वारा हिज्बुल मुजाहिदीन कमांडर बुरहान वानी के मारे जाने को दुखद और निंदनीय करार दिया है। इससे क्षेत्र में मौजूद आतंकी समूहों को मिल रहा पाकिस्तान का समर्थन उजागर होता है। उन्होेंने कहा कि आईएसआई पाकिस्तान की विदेशी नीति को गुपचुप तरीके से निर्देशित करती है। भारत से जम्मू कश्मीर को अलग करने के लिए उसने राज्य में कई जिहादी समूहों का निर्माण किया है और उनका समर्थन भी करती है।

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