कर्नाटक : स्कूलों में कन्नड़ अनिवार्य हुई

कर्नाटक सरकार ने एक सर्कुलर जारी कर राज्य के सभी स्कूलों से अनिवार्य रूप से कन्नड़ भाषा को पाठ्यक्रम में शामिल करने को कहा है। इस फैसले को लेकर कन्नड़ भाषा का समर्थन कर रहे कार्यकर्ता जहां खुश हैं, वहीं स्कूलों का कहना है कि ऐसा करना हमारे लिए काफी मुश्किल होने वाला है। अभी छात्रों के पास अंग्रेजी, हिन्दी और कन्नड़ भाषाओं के विकल्प हैं।

बेंगलुरु के एक इंटरनैशनल स्कूल के प्रधानाचार्य ने कहा, ‘हम दो प्रमुख भाषाओं के रूप में कन्नड़ भाषा को महत्व देते हैं, लेकिन अगर छात्रों ने तीसरी भाषा के रूप में इसका चयन किया है तो हम क्या कर सकते है? हम किसी बच्चे को कन्नड़ को अपनी दूसरी भाषा के रूप में लेने के लिए बाध्य नहीं कर सकते क्योंकि यह उनकी पसंद होती है। सीबीएसई, आईसीएसई और आईजीसीएसई बोर्ड संबद्ध स्कूलों में उनके पाठ्यक्रम में कन्नड़ भाषा है लेकिन पर्याप्त कन्नड़ अध्यापक नहीं हैं। छात्र वे भाषाएं चुनने के लिए स्वतंत्र हैं जो वे पढ़ना चाहते हैं और अधिकांश छात्रों ने कन्नड़ को अपनी तीसरी भाषा के विकल्प के तौर पर चुना है।’

 

एक अधिकारी ने कहा, ‘अनिवार्य कन्नड़ भाषा सभी स्कूलों में खुशी से अपनाई गई है और हम कन्नड़ सीखने के लिए छात्रों और माता-पिता को भी प्रोत्साहित करते हैं। हर किसी के लिए अपनी स्थानीय भाषा सीखना बहुत जरूरी है क्योंकि यह राज्य की संस्कृति और परंपराओं से जोड़ती है।’

सरकार चाहती है कि छात्रों के पास हाई स्कूल तक दो और इंटरमीडिएट में सिर्फ एक भाषा का पेपर देने का विकल्प हो। नवंबर 2014 में पांच जजों की एक बेंच ने कन्नड़ को अनिवार्य बनाने पर रोक लगा दी थी। सुप्रीम कोर्ट के एक आदेश में भी स्पष्ट है कि कोई राज्य छात्रों पर पांचवीं क्लास तक कोई भाषा चुनने का दबाव नहीं डाल सकता। इसके बाद भी सरकार ने यह सर्कुलर जारी किया है।

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