एस-400 को लेकर भारत, यूएस और रूस में फंसा पेच, सौदे से पीछे हटने का दबाव बना रहा अमेरिका
रूस अमेरिका की नई जो बाइडन सरकार की तरफ से इस बारे में भारत पर दबाव बनाने की रणनीति को बखूबी समझ रहा है। लिहाजा रूस की तरफ से भी अपना पक्ष रखने की पूरी तैयारी है।
(एनएलएन मीडिया – न्यूज़ लाइव नाऊ): एस-400 खरीदी मामले में अब भारत को परेशानियों का सामना कारण पड़ सकता है क्योंकि वैश्विक परिदृश्य में अमेरिका और रूस के रिश्ते और भी ज्यादा बिगड़ रहे हैं। शुक्रवार को भारत दौरे पर पहुंचे अमेरिकी रक्षा मंत्री लॉयड आस्टिन की बातचीत में एस-400 की खरीद का मुद्दा बहुत ही अहम रहने वाला है। वैसे भारत पहले भी साफ कर चुका है कि एयर डिफेंस मिसाइल सिस्टम एस-400 की खरीद रणनीतिक जरूरतों को देखकर की जा रही है और इससे कोई समझौता नहीं होगा। लेकिन रूस अमेरिका की नई जो बाइडन सरकार की तरफ से इस बारे में भारत पर दबाव बनाने की रणनीति को बखूबी समझ रहा है। लिहाजा रूस की तरफ से भी अपना पक्ष रखने की पूरी तैयारी है। रूसी विदेश मंत्री सर्गेई लावरोव अगले महीने के अंत तक भारत दौरे पर आने की तैयारी में हैं। उनके इस दौरे को द्विपक्षीय रिश्तों के साथ ही एस-400 सौदे से जोड़कर देखा जा रहा है।
आस्टिन के भारत पहुंचने से पहले विदेश मामलों पर अमेरिकी सीनेट कमेटी के चेयरमैन बॉब मेंडेज ने उन्हें पत्र लिखकर इस यात्रा में एस-400 खरीद का मुद्दा उठाने की बात कही। वैसे उन्होंने कई मुद्दों को उठाने की बात कही, लेकिन एस-400 सिस्टम की खरीद को लेकर उनका रुख ज्यादा तल्खी वाला है। मेंडेज ने अपने पत्र में लिखा, ‘हम मानते हैं कि भारत और अमेरिका के बीच कोई संधि नहीं है और भारत का रूस के साथ पुराना सैन्य संबंध है। इसके बावजूद अगर भारत रूस से एस-400 सिस्टम खरीद पर आगे बढ़ता है, तो रूस के रक्षा उपकरणों पर प्रतिबंध लगाने के संदर्भ में उस पर काटसा (विरोधियों पर प्रतिबंध लगाने संबंधी कानून) की धारा 231 के तहत कदम उठाया जा सकता है।’ अमेरिकी सांसद मेंडेज के इस पत्र को भारत पर दबाव बनाने की रणनीति के तौर पर देखा जा रहा है। सनद रहे कि अमेरिका ने इसके पहले अपने मित्र राष्ट्र तुर्की पर भी रूस से एस-400 खरीद मामले में काटसा के तहत प्रतिबंध लगाया है।
भारत ने जब से तकरीबन पांच अरब डॉलर के इस रक्षा सौदे पर रूस से समझौता किया है, तभी से अमेरिका की तरफ से कई बार प्रतिबंध की धमकी दी जा चुकी है। भारत शुरू से ही अमेरिकी दबाव को नजरअंदाज कर रहा है। भारत इस महत्वपूर्ण सुरक्षा प्रणाली की खरीद को लेकर किसी बाहरी दबाव में आने से इन्कार कर चुका है। पिछले वर्ष मास्को दौरे पर गए रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने रूस से एस-400 की आपूर्ति जल्द करने का आग्रह किया था। एस-400 की खरीद व अधिग्रहण पर भारत और रूस के बीच लगातार संपर्क बना हुआ है। जनवरी, 2021 में भारत के सैन्य अधिकारियों का एक बड़ा दल एस-400 संचालन की ट्रेनिंग लेने रूस भी जा चुका है। रूसने का आश्वासन है कि 2021 के अंत से भारत को एस-400 मिसाइल सिस्टम की दिलवीरई मिलनी शुरू हो जाएगी।