एयर इंडिया ना करे नई नियुक्तियां और प्रमोशन : सरकार।

2.0 मोदी सरकार अब एयर इंडिया को निजी हाथों में बेचने पर काम कर रही है।

(एनएलएन मीडिया – न्यूज़ लाइव नाऊ) : सरकार ने एयर इंडिया से नई नियुक्तियां और पदोन्नति रोकने को कहा है। सभी नई फ्लाइट तभी शुरू होंगी जब काफी जरूरी हो। एक रिपोर्ट के मुताबिक एक आधिकारिक सूत्र ने बताया, “ये आदेश करीब एक हफ्ते बाद आया है। इसमें कहा गया है कि आगामी निजीकरण को देखते हुए कोई बड़ा कदम नहीं उठाया जाना है। इसके तहत नियुक्तियां और पदोन्नति भी रोक दी जाएंगी।” ये निर्देश डिपार्टमेंट ऑफ इन्वेस्टमेंट एंड पब्लिक असेट मैनेजमेंट (डीआईपीएएम) की ओर से आया है। अपने पिछले कार्यकाल में बोली लगाने में विफल होने के बाद 2.0 मोदी सरकार अब एयर इंडिया को निजी हाथों में बेचने पर काम कर रही है। सरकार ने पहले ही एयर इंडिया विनिवेश पर मंत्री समूह पुनर्गठित किया है। गृह मंत्री अमित शाह इस समूह की अगुवाई करेंगे। एक मीडिया रिपोर्ट में सूत्रों के हवाले से कहा गया है कि इस समूह से सड़क परिवहन मंत्री नितिन गडकरी को हटा दिया गया है। ये मंत्री समूह एयर इंडिया की बिक्री के तौर तरीके तय करेगा। इसमें अमित शाह समेत कुल चार केंद्रीय मंंत्री शामिल होंगे। शाह के अलावा वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण, वाणिज्य और रेल मंत्री पीयूष गोयल और नागर विमानन मंत्री हरदीप पुरी शामिल होंगे। अपने पहले कार्यकाल में मोदी सरकार ने 2018 में एअर इंडिया की 76 फीसदी हिस्सेदारी बिक्री और एयरलाइन के प्रबंधन नियंत्रण के लिए निवेशकों से बोलियां आमंत्रित की थीं। ये प्रक्रिया विफल हो गई थी और निवेशकों ने एयर इंडिया के अधिग्रहण के लिए बोलियां नहीं दी थीं। जिसके बाद सौदे को नियुक्त सलाहकार ईवाई ने इस बारे में रिपोर्ट तैयार की थी कि बिक्री की प्रक्रिया क्यों विफल रही। ईवाई ने अपनी रिपोर्ट में इसकी कुछ वजहें बताई थीं। जैसे सरकार द्वारा 24 फीसदी हिस्सेदारी अपने पास रखना, ऊंचा कर्ज, कच्चे तेल की कीमतों में उतार-चढ़ाव, विनियम दरों में उतार-चढ़ाव, वृहद वातावरण में बदलाव तथा लोगों के बोली लगाने पर अंकुश आदि। एयर इंडिया के एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा, “इस बार, हमें विनिवेश पर कोई संदेह नहीं है। जिस गति से चीजें आगे बढ़ रही हैं, एयरलाइन का स्वामित्व एक निजी पार्टी को स्थानांतरित कर दिया जाएगा।” एयर इंडिया पर कुल 58 हजार करोड़ रुपये का कर्ज है। साथ ही संचयी नुकसान 70 हजार करोड़ रुपये है। 31 मार्च, 2019 को समाप्त वित्त वर्ष में एयरलाइन को 7,600 करोड़ रुपये के नुकसान का अनुमान है। नागरिक उड्डयन मंत्री हरदीप सिंह पुरी ने इस सप्ताह कहा कि एयर इंडिया को बचाने के लिए इसका निजीकरण किया जाना है। उन्होंने सुझाव दिया कि सरकार एक एयरलाइन चलाने के लिए सुसज्जित नहीं है, जहां एक नौकरशाही प्रक्रिया का पालन करने के लिए निर्णय तुरंत लेने पड़ते हैं।

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