आयुर्वेद को भी योग की तरह वैश्विक ब्रांड बनाने की तैयारी में सरकार।

अहमदाबाद में हर साल आयुष पर अंतरराष्ट्रीय सम्मेलन होंगे, जहां दुनिया के सामने भारत स्वास्थ्य और खासकर जीवन शैली से जुड़ी समस्याओं के इलाज में अपनी प्राचीन चिकित्सा पद्धति की उपयोगिता का प्रदर्शन करेगा।

(एनएलएन मीडिया – न्यूज़ लाइव नाऊ): आयुर्वेद को योग के समान ही विश्वीक ब्रांड बनाने की तैयारी सरकार ने शुरू कर दी है। इसके तहत इसी साल अक्टूबर में अहमदाबाद में आयुर्वेद पर पहला अंतरराष्ट्रीय सम्मेलन आयोजित किया जाएगा। आयुर्वेद को ब्रांड के रूप में स्थापित करने के लिए विशेष लोगो और कलर कोड भी तैयार किया जा रहा है। आयुर्वेद को अंतरराष्ट्रीय स्तर पर स्थापित करने की तैयारियों की जानकारी देते हुए आयुष मंत्रालय के एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा कि अहमदाबाद को खास उद्देश्य से चुना गया है।
अधिकारी ने बताया कि जिस तरह कान से फिल्म फेस्टिवल और दावोस से विश्व आर्थिक मंच का नाम जुड़ा हुआ है, उसी तरह से अहमदाबाद को आयुर्वेद से जोड़ने की कोशिश की जाएगी। अहमदाबाद में हर साल आयुष पर अंतरराष्ट्रीय सम्मेलन होंगे, जहां दुनिया के सामने भारत स्वास्थ्य और खासकर जीवन शैली से जुड़ी समस्याओं के इलाज में अपनी प्राचीन चिकित्सा पद्धति की उपयोगिता का प्रदर्शन करेगा।
अंतरराष्ट्रीय सम्मेलन के साथ ही आयुष मंत्रालय आयुर्वेद के लिए विशेष लोगो और कलर कोड डिजाइन बनाने में जुटा है। इसके लिए कई प्रोफेशनल एजेंसियों के साथ बातचीत चल रही है। अंतरराष्ट्रीय स्तर पर किसी ब्रांड को स्थापित करने में लोगो और कलर कोड की अहम भूमिका होती है। नाइक, एडिडास, एपल जैसे बड़े अंतरराष्ट्रीय ब्रांड को महज उनके लोगो से लोग पहचान लेते हैं।
आयुष मंत्रालय के वरिष्ठ अधिकारी ने कहा कि अंतरराष्ट्रीय सम्मेलन के लिए अहमदाबाद के साथ-साथ मुंबई, दिल्ली और बेंगलुरु के नाम पर भी विचार किया गया था। लेकिन इन तीनों शहरों में पहले से बहुत सारे अंतरराष्ट्रीय प्रदर्शनी और सम्मेलन होते रहते हैं। सिर्फ आयुर्वेद को इससे जोड़ना मुश्किल होगा।
योग को स्थापित करने का सही समय
1- सरकार का मानना है कि आयुर्वेद को अंतरराष्ट्रीय ब्रांड के रूप में स्थापित करने का सबसे सही समय यही है।
2- कोरोना काल में दुनियाभर में संक्रमण से बचने के लिए भारत में सदियों से प्रचलित आयुर्वेदिक फार्मूले की चर्चा रही।
3- इस दौरान हल्दी समेत अन्य भारतीय मसालों की निर्यात में तेज बढ़ोतरी को इससे जोड़कर देखा जा सकता है।
सरकार की कोशिश आयुर्वेद के लिए भी ऐसे ही लोगो को तैयार करने और उन्हें दुनिया में स्थापित करने की है। इसके अलावा कलर कोडिंग के माध्यम से आयुर्वेदिक दवाओं की अलग से पहचान सुनिश्चित की जाएगी। इसके साथ ही आयुर्वेद के क्षेत्र में अत्याधुनिक अनुसंधान, उत्पादन व सप्लाई चेन खड़ा करने के लिए धन की कमी को दूर करने का प्रयास भी किया जा रहा है। इसके तहत इन्वेस्ट इंडिया के तहत आयुर्वेद के लिए विशेष प्रकोष्ठ बनाए गए हैं। सरकार के इस कदम से लंबे समय से उपेक्षित आयुर्वेद को नया जीवन और पहचान मिलेगा।

Leave A Reply

Your email address will not be published.