आदिवासियों के तौर-तरीकों का अध्ययन कर रही है पुलिस, अमेरिकी नागरिक का शव निकलना होगा मुश्किल

चाऊ ने 16 नवंबर को सेंटिनल द्वीप पर कदम रखा था

(एनएलएन मीडिया – न्यूज़ लाइव नाऊ) : अंडमान-निकोबार के नॉर्थ सेंटिनेल द्वीप से अमेरिकी नागरिक जॉन चाऊ का शव लाने के लिए पुलिस वहां रहने वाले आदिवासियों के तौर-तरीके सीख रही है। इसके लिए मानव विज्ञानी और शिक्षाविदों की मदद ली जा रही है। उनसे समझा जा रहा है कि सेंटिनेलीज आदिवासी किसी को मारने के बाद उसके शव का करते हैं।चाऊ ने 16 नवंबर को सेंटिनल द्वीप पर कदम रखा था। वहां आदिवासियों ने तीर मारकर उनकी हत्या कर दी थी। कुछ विशेषज्ञों ने बताया कि सेंटिनेलीज अपने द्वीप पर आने वाले बाहरी व्यक्ति को मारकर उसका शव दफना देते हैं। कुछ दिन के अंतराल पर वे शव वापस निकाल कर उसे बांस के डंडे पर लटकाते हैं और उसे समुद्र के किनारे चेतावनी के तौर पर रख देते हैं।

अंडमान के डीजीपी के मुताबिक, शुक्रवार को जांचकर्ताओं के एक दल ने कुछ दूरी से आदिवासियों की गतिविधियों पर नजर रखी थी।

अंडमान-निकोबार के डीजीपी दीपेंद्र पाठक का कहना है कि जांचकर्ताओं ने शुक्रवार को द्वीप पर चार-पांच आदिवासियों को 500 मीटर के दायरे में हलचल करते देखा था। इसी के आधार पर चाऊ को दफनाने वाली जगह का अंदाजा लगाया गया। हालांकि, उन्होंने कहा कि आदिवासियों का बर्ताव समझने के बाद ही वहां पहुंचने का फैसला किया जाएगा।सेंटीनलीज बाहरी दुनिया के संपर्क में रहना पसंद नहीं करते हैं। 2011 में इनकी आबादी 40 आंकी गई थी। 2006 में भी भारतीय नौसेना ने द्वीप से दो मछुआरों के शव लाने के लिए हेलिकॉप्टर भेजा था, लेकिन आदिवासियों ने उन पर पत्थर बरसा दिए। डीजीपी के मुताबिक, चाऊ का शव ढूंढने के लिए स्थानीय प्रशासन ने इस बार भी हेलिकॉप्टर और शिप भेजा है, लेकिन जांचकर्ता काफी दूर से ही आदिवासियों की गतिविधियों पर नजर रख पाए। विशेषज्ञों का कहना है कि अगर इस द्वीप में बार-बार घुसने की कोशिश होगी तो संरक्षित जनजाति को खतरा हो सकता है। जनजातीय अधिकारों के विशेषज्ञों का मानना है कि इन आदिवासियों को हत्यारा नहीं कहा जा सकता।

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