आंदोलन कर रहे किसानों द्वारा भारत बंद को कांग्रेस, डीएमके, आप और टीआरएस का समर्थन।

आंदोलन कर रहे किसानों ने 8 तारीख़ को भारत बंद का ऐलान किया हैं ।

(एनएलएन मीडिया – न्यूज़ लाइव नाऊ): आंदोलन कर रहे किसानों ने 8 तारीख़ को भारत बंद का ऐलान किया हैं । अब तक 11 से ज्यादा विपक्षी दल और दस ट्रेड यूनियन भारत बंद का समर्थन कर चुकी हैं।इस बीच, एनसीपी प्रमुख शरद पवार ने केंद्र सरकार को चेताया है कि अगर गतिरोध जारी रहता है तो आंदोलन दिल्ली तक ही सीमित नहीं रहेगा, पूरे देश के लोग किसानों के समर्थन में उतरेंगे।इस दिन क्या-क्या रहेगा बंद, स्वराज इंडिया के प्रमुख योगेंद्र यादव ने कहा, मंगलवार को सुबह से शाम तक भारत बंद रहेगा। दोपहर तीन बजे तक चक्का जाम रहेगा। दूध, फल व सब्जी पर रोक रहेगी। शादी व इमरजेंसी सेवाओं पर किसी तरह की रोक नहीं होगी।विपक्षी दलों ने रविवार शाम संयुक्त बयान जारी कर कहा, संसद में बिना वोटिंग व चर्चा के जल्दबाजी में पास कराए गए कृषि कानून भारत की खाद्य सुरक्षा के लिए खतरा हैं। ये हमारे किसानों व कृषि को तबाह करने वाले हैं।

केंद्र सरकार को लोकतांत्रिक प्रक्रिया का पालन करते हुए हमारे अन्नदाता किसानों की मांगें माननी चाहिए। बयान पर कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी, एनसीपी प्रमुख शरद पवार, माकपा महासचिव सीताराम येचुरी, गुपकार अलायंस के नेता फारूक अब्दुल्ला, सपा अध्यक्ष अखिलेश यादव व अन्य के हस्ताक्षर हैं।इससे पहले कांग्रेस प्रवक्ता पवन खेड़ा ने कहा, किसानों के समर्थन में कांग्रेस सभी जिला व राज्य मुख्यालयों पर प्रदर्शन करेगी और भारत बंद की सफलता सुनिश्चित करेगी। डीएमके प्रमुख एमके स्टालिन ने कहा, कानूनों को वापस लेने की किसानों की मांग एकदम जायज है। अभिनेता कमल हासन की मक्कल निधि मयम ने भी किसानों का समर्थन किया है।आप नेता गोपाल राय ने कहा, पार्टी के सभी कार्यकर्ता और वालियंटर्स किसानों के समर्थन में  बंद में हिस्सा लेंगे। शनिवार को वाम दलों, टीएमसी, राजद और दस ट्रेड यूनियनों ने भी भारत बंद का समर्थन करने की घोषणा की थी।किसानों के साथ शनिवार को पांचवें दौर की वार्ता भी असफल रहने के बाद कृषिमंत्री नरेंद्र सिंह तोमर ने रविवार को राज्यमंत्री कैलाश चौधरी व पुरुषोत्तम रुपाला के साथ बैठक की। अब किसानों के साथ अगले दौर की बातचीत नौ नवंबर को होनी है।तीनों कृषि कानून किसानों के हक में है और इन्हें वापस नहीं लिया जाएगा। अगर जरूरी हुआ तो सरकार किसानों की कुछ मांगों को मानते हुए इनमें संशोधन कर सकती है। देश के असली किसान कानूनों से चिंतित नहीं है और अपने खेतों में काम कर रहे हैं। कुछ दलों ने राजनीतिक फायदे के लिए आंदोलन कर रहे लोगों को लालच दिया है। लिहाजा उन्हें ऐसे लोगों के लालच में नहीं आना चाहिए।कैलाश चौधरी, कृषि राज्यमंत्री,ओलंपिक पदक विजेता मुक्केबाज विजेंद्र सिंह ने कहा, अगर कृषि कानून वापस नहीं लिए गए तो वह अपना राजीव गांधी खेल रत्न अवार्ड लौटा देंगे। विजेंद्र रविवार को सिंघु बॉर्डर पर आंदोलनरत किसानों का समर्थन करने पहुंचे थे।

 

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