अमेरिका चांद पर भेजेगा और एक मिशन, चांद पर जाने वाली पहली महिला होगी अमेरिकी – उपराष्ट्रपति

अपोलो-11 अमेरिका समेत पूरी दुनिया की तरफ से चांद पर भेजा गया पहला कामयाब मानव मिशन था। मिशन को 16 जुलाई 1969 को लॉन्च किया गया था।

(एनएलएन मीडिया – न्यूज़ लाइव नाऊ) : अमेरिका के उपराष्ट्रपति माइक पेंस ने कहा है कि हमारा देश एक बार फिर चांद पर मिशन भेजने की तैयारी कर रहा है। अगले पांच सालों में यह काम हो जाएगा। इसके जरिए पहली बार कोई अमेरिकन महिला चांद पर कदम रखेगी।उन्होंने कहा कि राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प अमेरिका को अंतरिक्ष की भी महाशक्ति बनाना चाहते हैं। 6 मई से शुरू हुई सैटेलाइट कान्फ्रेंस में भारत समेत 105 देशों के 15 हजार वैज्ञानिक कान्फ्रेंस में भाग ले रहे हैं। यह चार दिनों तक चलेगी।अमेरिका अभी तक चांद पर छह मिशन भेज चुका है। अपोलो-11 अमेरिका समेत पूरी दुनिया की तरफ से चांद पर भेजा गया पहला कामयाब मानव मिशन था। मिशन को 16 जुलाई 1969 को लॉन्च किया गया था। 20 जुलाई 1969 को एस्ट्रोनॉट नील आर्मस्ट्रॉन्ग और एडविन ऑल्ड्रिन चांद की जमीन पर उतरे थे।

दरअसल, अमेरिका को इस मिशन की कामयाबी पर आशंका थी। तत्कालीन राष्ट्रपति निक्सन के निर्देश पर ‘इन इवेंट ऑफ मून डिजास्टर’ नाम से शोक संदेश भी तैयार कर लिया था। हालांकि, मिशन सफल रहा और यह भाषण कभी पढ़ा ही नहीं गया। अपोलो-11 के बाद 5 मैन्ड मिशन चांद पर भेजे गए, जिनमें से अंतिम उड़ान 1972 में भेजी गई।पेंस ने कहा कि धरती, वायु और समुद्र की तरह से अंतरिक्ष क्षेत्र भी वार जोन में तब्दील होता जा रहा है। दूसरे देश लगातार अंतरिक्ष में मौजूद अमेरिकी सैटेलाइटों को निशाना बनाकर संचार व्यवस्था को प्रभावित कर रहे हैं। उन्होंने कहा कि जैसे पृथ्वी पर उनका देश एक महाशक्ति है, वैसे ही अंतरिक्ष में भी वह अपनी बादशाहत को कायम रखेंगे।उनका कहना था कि अमेरिका का रुतबा कायम रखने के लिए ट्रम्प पूरे जोरशोर से काम कर रहे हैं। डिफेंस सेक्टर के लिए उन्होंने भारी भरकम रकम अलॉट की है। पूर्व राष्ट्रपति रोनाल्ड रीगन के बाद डिफेंस के लिए यह सबसे बड़ा बजट है। इसके जरिए सेना को सशक्त बनाने के साथ अंतरिक्ष क्षेत्र में भी नए प्रयोग किए जाने हैं।सैटेलाइट 2019 कान्फ्रेंस में अमेजन के सीईओ जेफ बेजोस के साथ स्पेस एक्स के संस्थापक और सीईओ एलन मस्क और वेब फाउंडर ग्रेग वायलर जैसे दिग्गज अपने विचार रखेंगे। पेंस का कहना है कि बहुत से देश अंतरिक्ष में अपना प्रभुत्व जमाने को आमादा है। इससे अमेरिकी कार्यक्रम खतरे में पड़ गए हैं। इस साल के आखिर तक अमेरिका अंतरिक्ष में एक और मिशन भेजेगा।

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